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मुंहता नैणसीरी ख्यात तिण समै विजैराव लांजो आबूरा पंवारांरै परणियो, तरै सासू निलाड़ दही दियो तरै कह्यो'___ "बेटा ! उत्तर दिसि भड़-किंवाड़ हुए।" सु रावळ विजैराव तो काळ-प्राप्त हुवो छ । तिण समै गजनीरो पातसाह अावू ऊपर अजांगजकरो' जाय छै । रावळ भोजदेनूं कहाड़ियो, प्रागै प्रादमी मेल - .. "म्हे पँवारां ऊपर आबू जावां छां, तूं आगै खबर मत देई । म्हे थारो विगाड़ क्यूं नहीं करां ; तू थारा लुद्र वा माहै बैठो रहै ।" सु तिण दिनां जेसळ दुसाझरो ग्रासियो हुय बारै नीसरियो छ । पातसाहनूं कहै छै-"पँवार इणांरै मांमा छ, यो खबर विगर दियां रहसी नहीं।" नै भोजदे पातसाहतूं वात की छै, "म्हे कटकरी खवर बाबू नहीं दियां ।"
आ वात भोजदेरी मा सुणी, तरै भोजदे कनै आइ कहण लागी,-"थारै वापरी निलाड़ म्हारी मा दही दियो तरै कह्यो थो–“बेटा जमाई ! उत्तर-दिस भड़-किंवाड़ हुए। तरै थारै बाप वात कवूल की थी। तिको वोल थारा वापरो जाय छै । पाखर एक दिन जायो पूत मरेबो छ ।' तरै रावळ भोजदे नगारो दियो । पातसाह लुद्रवाथी कोस १ मेढ़ीरो माळ छ, तटै उतरियो थो सु पातसाह ही नगारो सुणियो । प्रागै जेसळ लगावतो हुतोईज12 । पातसाह चढ़ लूद्रवा ऊपर आयो। रावळ भोजदे बाज काम आणे ' । पातसाह सारो सहर लूटियो । रावळरो घर-भार-भरत जेसळ दियो । जेसळमेर माथै टीको काढ रावळाई दो । पातसाह फिर पाछो गयो । भोजदे बाळक थको काम प्रायो। बेटो नहीं16 ।
_I तोरन-द्वार पर जब सासने विजयरावकी ललाट पर दहीका तिलक निकाला था, तव कहा था। 2 बेटा ! तू उत्तर दिशाका रक्षक होना। 3 रावल विजयराव तो मृत्युको प्राप्त हो गया। 4 अचानक । 5 आगे अादमी भेज कर रावल भोजदेवको कहलवाया । 6 तेरे । उन दिनोंमें दुसाझका पुत्र जेसल ग्रासिया होकर बाहर निकल गया है। 8 हम तुम्हारे कटक लेकर आनेकी खवर आबू नहीं देंगे। 9 आखिर एक दिन जिस पुत्रने जन्म लिया है वह तो मरने वाला है ही। 10 तव रावल भोजदेवने युद्धका नगाड़ा बजवाया। II लुद्रवासे एक कोश पर 'मेढीरो माळ' नामक स्थान पर बादशाह ठहरा हुया था, वहां उसने नगाड़ा सुना। 12 इधर जेसल भोजदेवके विरुद्ध उसे भड़का ही रहा था। 13 रावल भोजदेव लड़ कर काम प्राया। 14 रावल भोजदेवके घरका सभी सामान, मालमत्ता जेसलको दिया। .. 15 जेसलके तिलक निकाल कर जैसलमेरका रावल पद दिया। 16 इसके वेटा नहीं : .