Book Title: Jinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992
Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal
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अध्यात्म साधना के सुमेरु
0 प्रो० छोगमल जैन
जीवन के परमानन्द व मुक्ति के लिए साधना का महत्त्व प्रत्येक जिज्ञासु, ज्ञानी, ध्यानी. तपस्वी व प्राचार्य ने बताया है। स्वयं साधना तो साधक के लिए लाभप्रद है ही अतः सभी करते हैं परन्तु साधना के लिए प्रेरित करना और भूलों-भटकों को सन्मार्ग दिखाकर साधना की ओर अग्रसर करना तथा साधनासरिता सतत प्रवाहित होने के उद्देश्य से शाश्वत प्रयास करना बिरले भाग्यशाली महापुरुषों के आशीर्वाद से ही सम्भव है। प्राचार्यजी ने इसी ध्येय से अपने जीवन में सामायिक और स्वाध्याय को विशेष महत्त्व दिया ।
वैसे तो साधना साधक के लिए एक विशाल सागर के समान है । साधक अपनी क्षमता एवं सुविधानुसार काल, क्षेत्र एवं शरीर-स्वास्थ्य का विचार करके साधना करता है, परन्तु आचार्य श्री ने सर्व साधारण के कल्याण के लिए तथा सबको सुविधायुक्त सामायिक एवं स्वाध्याय पर अधिक ध्यान दिया। इस उद्देश्य से स्थान-स्थान पर सामायिक संघ, स्वाध्याय संघ तथा स्वाध्यायियों के लिए शिविर आदि के आयोजन प्राचार्य श्री की ही देन है।
सामायिक एक ऐसी साधना है कि साधक अपने उपलब्ध समय में प्रतिमुहूर्त के हिसाब से चाहे जितनी व चाहे जब कर सकता है। 'तत्त्वार्थ' सूत्रानुसार तप के बारह भेदों (छः बाह्य व छः प्राभ्यन्तर) में प्रतिसंलीनता बाह्य भेदों में अन्तिम बताया है। सामायिक प्रतिसंलीनता तप के अन्तर्गत आता है। इसमें इन्द्रिय, योग, कषाय एवं विविक्त शयनासन चारों प्रकार की प्रतिसंलीनता सम्मिलित है । एक मुहूर्त तक साधक अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखकर, कषायों से दूर रहकर तीनों योगों की चंचलता को कम करते हुए एकान्त साधना करता है।
कुछ ज्ञानियों ने तो सामायिक में सभी प्रकार के तपों को सम्मिलित किया है यथा सामायिक की समयावधि में खान-पान से मुक्त रहने से अनशन, ऊनोदरी, भिक्षाचरी एवं रस-परित्याग तप की आराधना हो जाती है और एक सीमित स्थान पर एक आसन्न से बैठने से न्यूनाधिक काया-क्लेश की भी तप साधना हो जाती है। इसी प्रकार उस अवधि में इरियावहियं के पाठ के माध्यम से प्रायश्चित्त, बड़ों के प्रति सेवाभाव से वैयावृत्य, कषाय-मुक्ति से विनय, अध्ययन या पठन-पाठन से स्वाध्याय, ध्यान तथा व्युत्सर्ग सभी प्रकार के प्राभ्यन्तर तप
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