Book Title: Jinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992
Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal
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• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
देवी अब यह भूषण धारो, घर संतति को शीघ्र सुधारो सर्वस्व देव मिटावो आज, जगत के भर्म को जी""पालो ।। ४ ।। धारिणी शोभा सी बन जाओ, वीर वंश को फिर शोभायो "हस्ती" उन्नत करदो, देश धर्म अरु संघ को जीपालो ॥ ५॥
( ३७ ) भगवान तुम्हारी शिक्षा जीवन को शुद्ध बना लेऊँ, भगवान तुम्हारी शिक्षा से । सम्यग् दर्शन को प्राप्त करूँ, जड़ चेतन का परिज्ञान करूं।
जिनवाणी पर विश्वास करूं, भगवान तुम्हारी शिक्षा से ।।१।। अरिहंत देव निर्ग्रन्थ गुरु, जिन मार्ग धर्म को नहीं विसरूँ।
अपने बल पर विश्वास करूं, भगवान तुम्हारी शिक्षा से ॥२॥ हिंसा असत्य चोरी त्यागू, विषयों को सीमित कर डालूं ।
जीवन धन को नहीं नष्ट करूँ, भगवान तुम्हारी शिक्षा से ।।३।।
विदाई - सन्देश ( तर्ज-सिद्ध अरिहंत में मन रमा जायेंगे ) जीवन धर्म के हित में लगा जाएंगे,
महावीर का तत्त्व सिखा जाएंगे ॥ टेर । चाहे कहो कोई बुरा अथवा भला कहो,
पर हम कर्तव्य अपना बजा जाएंगे ॥ महा० १॥ चाहे सुने कोई प्रेम से अथवा घृणा करे,
पर हम धर्म का तत्त्व बता जाएंगे । महा० २ ॥ चाहे करो धन में श्रद्धा या धार्मिक कार्य में,
पर हम शान्ति का मार्ग जचा जाएंगे । महा० ३ ॥ अहमदनगर के श्रोताओं, कुछ करके दिखलाना,
हम भी प्रेम से मान बढ़ा जाएंगे ।। महा० ४ ।।
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