Book Title: Jinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992
Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal
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• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
की सरकार अहिंसक कहलाने वाली गाँधीवादी सरकार है। गाँधीवादी सरकार में अहिंसा का तत्त्व कितना व्यापक होना चाहिये । गाँधीवादी सरकार कितने शुद्ध विचारों के साथ आगे आने का प्रयत्न कर रही है, यह देखने की बात है। सबसे पहले जैन कार्यकर्ताओं में से इस प्रकार की सच्ची नीति अपनाने वाले लोग आगे आवें। इस बात की देश के लिये बहुत बड़ी आवश्यकता है। इस अहिंसा तत्त्व को देश आसानी से समझे। सार्वजनिकसेवा करने वाले लोग व्यक्तिगत स्वार्थ को भुलाकर, ममत्व को भुलाकर देखें कि गाँधी जैसे व्यक्ति देश के लिये बलि हो गये, गोली खाकर मर गये, लेकिन उन्होंने अहिंसा तत्त्व को अन्त तक नहीं छोड़ा। मरते समय उनके मुंह से राम निकला । जहाँ ऐसा नमूना हमारे सामने है, वहां जैन समाज और भारत के अहिंसक समाज के लोगों को कितना उच्च शिक्षण लेना चाहिये। यदि आप अहिंसा के सिद्धान्त को अमली रूप देकर विश्व प्रेम की ओर बढ़ेंगे, तो आपका वास्तव में अहिंसा सप्ताह मनाना सार्थक होगा।
एक व्यावहारिक काम देश के अहिंसा प्रेमियों के सामने यह आता है कि गाँधी सप्ताह में भी यदि कत्लखाने बन्द नहीं हों, हमारे प्राणी जो मानव समाज के लिये पोषक हैं, उन पशुनों में, गाय, भैंस, बकरे, बकरियाँ आदि जानवरों का वध इन कत्लखानों में हो और गाँधी सप्ताह के दिनों में जैन समाज के लोग, हिन्दू समाज के लोग, राम और कृष्ण को मानने वाले लोग यदि इसको रोकने की ओर कदम नहीं बढ़ा सके, तो यह कैसी बात मानी जायगी ? अहिंसा का खाली गुणगान ही करते हैं, लेकिन उनको अहिंसा में विश्वास नहीं है। मैं चाहूँगा कि हमारे जैन समाज के लोग इस दिशा में भी कदम बढ़ावें और समाज की शक्ति को अहिंसा के मैदान में लगावें। जब कभी सामाजिक बुराइयाँ मिटानी हों, राष्ट्र की बुराइयाँ मिटानी हों, तब आप कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें।
पश्चिमी देश फ्रान्स में एक व्यक्ति जंगली जानवरों तक से प्यार करने वाला हुआ। उसकी स्मृति में प्राणी दिवस मनाया जाता है। अनार्य देश के लोग अहिंसा का आदर करते हैं और अहिंसक देश हिंसा में विश्वास करने वाला बनता जा रहा है। हमने जब सतारा में चातुर्मास किया था, तब फ्रांस के उस प्राणी रक्षक भाई के बारे में बहुत कुछ सुना था। कम-से-कम जैन समाज के लोग दया और अहिंसा को अमली रूप देवें। खुद के जीवन को भी ऊँचा उठावें और जो आपके सम्पर्क में आवें, उनके जीवन को भी ऊँचा उठावें । देश और समाज को ऊँचा उठाने के साथ, विश्व प्रेम और अहिंसा के विचारों में तेजस्विता ला सकें, तो सबके लिये कल्याण की बात होगी। जो ऐसा करेगा वह इस लोक और परलोक में शांति, आनन्द और कल्याण प्राप्त करने का अधिकारी होगा।
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