________________
• २१२
• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
इसलिए स्वाध्याय जीवन को एक सार्थक दृष्टि प्रदान करने वाली राम बाण औषधि है जो हमारा ध्यान केन्द्रित कर एकाग्रता प्रदान करती है । जो चीजों को दर्पण की तरह सही परिप्रेक्ष्य में देखने की क्षमता देती हैऔर जो 'चीजों के भी पार उन्हें देखने और समझ पाने की हमारी अन्तर्दृष्टि का विकास करती है। जिससे हम इस पार से उस पार जा सकते हैं और राग से विराग की ओर, भौतिकता से अध्यात्म की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर तथा मृत्यु से अमरता की ओर प्रयाण कर सकते हैं-किन्तु अंततः कदम तो 'स्वाध्याय' की ओर हमें ही उठाना पड़ेगा। फिर जैसा कि बुद्ध ने भी कहा है-'अप्पो दीपो भव' । अपना दीपक स्वयं बन और जीवन में अंततः व्यक्ति को अपना रास्ता स्वयं ही खोजना पड़ता है । 'स्वाध्याय' के माध्यम से वह रास्ता सहज हो जाता है और चीजों को, विचारों को, दर्शन को, सौंदर्य को परखने की हमारी दृष्टि शुद्ध बनती है।
___ इस मंगल अवसर पर प्राचार्य श्री की अनुकम्पा से प्राइये, हम भी 'स्वाध्याय' की ओर कदम बढ़ाएँ-तो जीवन में जो सत्य है, सुन्दर है, शिव है-उसे पाने में कठिनाई नहीं होगी।
--प्राध्यापिका, रसायन शास्त्र विभाग, होल्कर विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर
000
* स्वाध्याय चित्त की स्थिरता और पवित्रता के लिए सर्वोत्तम उपाय है। .: हमारी शक्ति 'पर' से दबी हुई है, उस पर आवरण छाया हुआ है । इस
आवरण को दूर करने एवं 'स्व' के शुद्ध स्वरूप को पहचानने का मार्ग स्वाध्याय है। * अपनी भावी पीढ़ी और समाज को धर्म के रास्ते पर लाकर तेजस्वी
बनाने के लिए स्वाध्याय का घर-घर में प्रचार होना चाहिए।
-~-प्राचार्य श्री हस्ती
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org