Book Title: Jinvani Special issue on Acharya Hastimalji Vyaktitva evam Krutitva Visheshank 1992
Author(s): Narendra Bhanavat, Shanta Bhanavat
Publisher: Samyag Gyan Pracharak Mandal
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• १२६
• व्यक्तित्व एवं कृतित्व
३. भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास (मुनि ज्ञानसुन्दर), फलौदी
जैनिज्म इन साउथ इण्डिया (देसाई), शोलापुर ५. दक्षिण भारत में जैन धर्म (पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री), बाराणसी ६. तीर्थंकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा भाग १-४
(डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री) सागर ७. जैन धर्म के प्रभावक आचार्य (साध्वी संघमित्रा), लाडनूं ८. जैन धर्म - प्राचीन इतिहास (पं. हीरालाल श्रावक), जामनगर है. जैन साहित्य और इतिहास (पं. नाथराम प्रेमी), बम्बई १०. जैन साहित्य व इतिहास पर विशद प्रकाश (पं. जुगल किशोर मुख्तार) ११. जैन परम्परा का इतिहास (मुनि नथमल), चूरू १२. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास भाग १ (पं बलभद्र जैन) दिल्ली १३. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास भाग २ (पं. परमानन्द शास्त्री), दिल्ली १४. त्रिपिटक और आगम-एक परिशीलन (मुनि नगराज) १५. जैनिज्म इन राजस्थान (डॉ. के. सी. जैन), शोलापुर १६. जैन धर्म का मौलिक इतिहास भाग १-४ (प्राचार्य हस्तीमल), जयपुर १७. जैन सोर्जेज ऑफ द हिस्ट्री ऑफ एन्शियेन्ट इण्डिया
(डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन), दिल्ली १८. जैन संस्कृति और राजस्थान (डॉ. नरेन्द्र भानावत), जयपुर
जैन धर्म के इतिहास से सम्बन्धित उक्त ग्रन्थों की सूची में अनेक ग्रन्थ अभी और जुड़ सकते हैं । इतिहास विषयक सामग्री से युक्त सैकड़ों प्राचीन जैन ग्रन्थ हैं, कुछ ऐतिहासिक काव्य ग्रन्थ हैं एवं कतिपय साहित्यिक ग्रन्थों में, प्रशस्तियों में इतिहास की सामग्री गुंथी हुई है । इधर जैन साहित्य के जो ग्रन्थ प्रकाश में आये हैं, उनके सम्पादकों ने इतिहास विषयक सामग्री का मूल्यांकन भी किया है। इस सब ऐतिहासिक सामग्री का तुलनात्मक विश्लेषण और अध्ययन किया जाना आवश्यक है। "जैन धर्म का बृहत इतिहास" कई भागों में निष्पक्ष रूप में लिखे जाने की अपेक्षा है, तब कहीं जैन संस्कृति के सभी पक्ष विभिन्न आयामों में उद्घाटित हो सकेंगे। आचार्य श्री हस्तीमलजी महाराज के इस इतिहास ग्रन्थ के भागों के नये संस्करणों में भी अद्यावधि प्रकाशित एवं उपलब्ध नवीन तथ्यों के समावेश से ग्रन्थ की उपयोगिता द्विगुणित होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण और विशालकाय ग्रन्थों की प्रकाशन संस्था एवं अनुदाता धर्मप्रेमी बन्धु बधाई के पात्र हैं।
-विभागाध्यक्ष-जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर
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