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વંદના બત્રીસમી
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हे समताधाम जिनराज! आप की प्रशम-रस-निमग्न मुद्रा के दर्शन मात्र से चित्त में अनुपम शांति एवं समता का प्रादुर्भाव होता है
- और आपकी उपासना सर्व-पाप-प्रणाशक है। यदि भक्तिपूर्वक की जाय तो सर्व माङ्गल्य है; अतएव परम उपकारक प्रभो! आप के चरणारविंद में मेरा कोटि कोटि वंदन।
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NewsMishrIVITRVVVVVPRAMVIMIRMIRMIRMIRMIRINIVASI
सेवक
ताजमल बोथरा ६, क्रोस स्ट्रीट, कलकत्ता-७