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है। तर्क गंभीर तो है ही, परन्तु अत्यंत उपयोगी भी है इस लिये सभी तत्व ज्ञान के प्रेमियों को तर्क भाषा की सरल टीका के द्वारा तत्त्वज्ञान का लाभ प्राप्त करने का यत्न करना चाहिये। प्रस्तुत ग्रंथ प्रकाशन--
विक्रम संवत् २०२७ में हमारा चातुर्मास पूज्यपाद परमशासनप्रभावक गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी महाराज की पुनीत आज्ञा से पूज्यपाद गुरुदेव पंन्यासजी धीमदमगांकविजयजी गणिवर (सप्रति आचार्यदेव श्रीमद विजय जितमगांक सूरीश्वरजी म) के साथ हुआ । इस चतुर्मास में हम दोनों ने “जैन तर्क भाषा" का अध्ययन पडितप्रवर श्री ईश्वरचंद्रजी से किया। इस अवसर पर इस ग्रथ को सरल टोका अत्यंत आवश्यक है-यह हमको प्रतीत हुआ । हमने यह विचार वहां के कार्यकर्ताओं के सामने रक्खा । उन लोगों ने इस विचार का स्वागत किया और प्रत्येक प्रकार का सहकार दिया। इस कारण इस टोका की रचना हुई । इस टीका के साथ जैन तर्क भाषा का प्रकाशन तर्क के अभ्यासियों के लिये अतीव उपयोगी सिद्ध होगा इस विचार से बम्बई-वडाला श्रीजैन सघ के श्राद्धवर्य श्री चम्पालालजी ललवाणी ने इसके प्रकाशन के लिये संघ की भोर से आवश्यक सहकार दिया । इस कारण इसका प्रकाशन सरल हो गया। प्रस्तुत ग्रंथ संपादन-मुद्रण-आदि
ग्रंथके संपादन का कार्य किनके द्वारा किया माय? यह विचार चल रहा था। कल्याणबंधु माननीय पू. मुनिवरोंने हम