Book Title: Chaupannamahapurischariyam
Author(s): Shilankacharya, Amrutlal Bhojak, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 281
________________ १९८ चउम्पन्नमहापुरिसचरियं । एबहमेत्तो विवाओ?। त्ति भणिऊग दीहुण्हणीसासाणिलविलुलियालयाणणा किंचि अहोमुही ठिया। पुणो भगवया भणियं"देवाणुप्पिए । अलमुव्वेएण, एरिसो चेत्र एस संसारसहावो, सुणसु, गुरुयरकम्मपयपब्भारवियम्भिउमडकल्लोलम्मि जाइ-जरा-मरणाणंतपयत्तावत्तपउरम्मि विविवाहिवेयणुव्वेल्लविलोलवीयीविच्छड्डम्मि दुव्वारविरहविसट्टमच्छपुंछच्छडम्मि दूसहसोयसमुद्धंतकरिमयरणियरम्म णिवडंताऽणंतहीरंतजंतुसंताणम्मि संसारसायरम्मि णिवडियस्स जंतुणो दुल्लहं मणुयत्तणं । कहं चिय? पुन्या-ऽवरमायसमुदखित्तपरिभमणमिलियघडिएणं । जुय-समिलादिलुतेण दुल्लहं होइ मणुयत्तं ॥ २११॥ तत्थ वि बहुदीवंतरविसेसपउरम्मि मणुयखेतम्मि । कह कह वि कम्मभूमीए कम्मवसयस्स उप्पत्ती ।। २१२ ।। तत्थ वि किराय-तज्जिय-जवण-मुरुंडोडु-कीरबहुलम्मि । दुलहो आरियदेसम्मि संभवो होइ जंतूणं ।। २१३॥ तत्थ वि य कोलि-उच्चंड-डोम्व-चंडाल-मिल्ल बाहुल्ले । होइ मुकुलम्मि जम्मो मुकम्मबहुलस्स जीवस्स ॥२१४॥ वत्थ वि बहिरंधु-भडउवद्दवुदामदुमियदेहस्स । दुक्खेहिं णिययपंचंदियत्तणं पावते पुरिसो ॥ २१५॥ तत्थ वि ख्वादिसमत्तविसयवासंगमोहियमणम्स । सुकयकरणम्मि सद्धा कह कह वि णरस्स जइ होइ ॥२१६॥ अह कह वि होइ सद्धा धम्मायरिओ सुदुल्लहो होइ । संते धम्मायरिए वि धम्मसवणं पति अवज्जा ।। २१७ ॥ धम्मसरणायरम्मि वि संपण्णे होइ दुल्लहा वोही । संपत्ताए वि बोहीए दुल्लहा होइ विरइ ति ॥२१८ ॥ विरतीए वि संपत्ताए दुल्लहा भवविरायसामग्गी । सदिदियाइदुल्ललियलोलचित्तस्स जंतुस्स ।। २१९ ।। इय एवं कयपारंपरकमा कह वि होइ सामग्गी। देवाणुपिए ! कयकुसलकम्मवसगस्स जीवस्स ॥ २२० । ता भो भो ! भणामि सव्वे वोच्छिज्जंतु णेहपासा, पयहिज्जउ मोहो, सिढिलिज्जउ पमाओ, अवलंबिज्जउ धम्मुज्जमो, साहिज्जतु इंदियभडा, मुसुमृरिजंतु विसयवेरिणो, संजमिज्जउ मणतुरंगमो, कीरउ सबाहिरभंतरो तवविसेसो, तवुत्तावियविणासियाससकम्मया य पाणिणो पावन्ति सयलोवहवरहियं परमपयं ति। तओ तमायणिऊण देवतीए वियलिओ सोय पसरो । अण्णे य संबुज्झिऊण पञ्चज्जमुवगया । अबरे सावगत्तणं पडिवण्ण ति । तयणंतरं च बहुपडिपुण्णपोरिसीए उहिओ भयवं । गया य मुरा-ऽसुर-णर-तिरियगणा जहागयं ठाणं ति । घासुदेवो वि वसुदेव-देवती-समग्गजायवसमन्निो पविट्ठो णिययणयरि ति । ___ भयवं पि पुणो वि केणइ कालं तेरण विहरिऊण मेइणि समागओ बारवति । विरइयं देवेहि समोसरणं । उवविट्ठो भगवं । पत्थुया धम्मकहा । समागया यंदाणिमित्तं जायवा । णिविट्ठा गाइदूरे । लद्धावसरेण य पुच्छियं बलदेवेणं जहाभगवं! केचिराउ कालाओ इमीए गरीर अवसाणं भविम्सइ ?, कुओ वा सयासाओ वासुदेवस्स य? । भगवया भणियं-सोम ! सुणसु, दुवालससंवच्छरावसाणे काले समइकंते मजपमायपरत्वसकुमारारोसियस्स दीवायणमुणियो सयासाओ बारवतीए दाहजणिओ विणासो त्ति । वासुदेवस्स णियभाउणो जराकुमारसयासाउ ति। एवं च णिसामेऊण वेग्गमग्गमुवगया जायवणराहिवे वहवे दिक्खमब्भुववण्णा, अण्णे सम्मत्तं ति । जराकुमारो वि भयवओ वयणं णिसामेऊण 'मज्जणिओ विणासो' ति वेरगमगमवगओ णिदिऊण णिययपरिसयार, अवमण्णेऊण णिययजम्मं, छेड्डऊण सयणवगं, 'चित्यु मम जीविएणं' ति कलिऊण पविट्ठो कायम्बयवणं। जायवेहिं च मज्जपडियारणिमित्तं पुरवरीओ रुइरा वि सयला मजविसेसा उझिया णेऊण गिरिकुहरकंदरेसु । दीवायणो वि तं चेव भयक्या भणियं णिसामिऊण संजायगरुयसंवेओ पव्ययणिउंजमेवोवगओ । सेसओ य जणवओ तवमुक्कमिउमारद्धो। ___ अण्णया य बहुकालंतराओ कुमारा बहुविहकीलाविणोएण कीलमाणा दढं पिवासाहिहूया समागया तमुद्देसं जत्थ ते कायम्बरीविसेस त्ति । तओ तण्होवत्तियत्तणओ पहयकालाहिलासाओ य 'अहो ! संजाय'ति भणमाणेहिं पाउमारद्धा । तो ते कुमारा मइरावसघोलिरायम्बलोललोयणा उद्दामपवियंभमाणमयपरव्वसतणुणो विसंखलुच्छलंतगीयपडिरवा पयट्टतविसट्टणट्टोवयारा परोप्परुग्वेल्लमाण वलयालिंगणपरा णिब्भरमयमंथरं तम्मि वणंतराले कयकीलाविलासं परिम 1ए। एरिसो स । २ जुर्व स । ३ "वाइसमागवि जे । ४ सोम्म! सुण दुजे । ५ जरकुसू । ६ अवरे जे । ७ मज्जस जे । ८ बहुयका सू । ९ मादत्ता जे ! १० भुवलयास Inal use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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