Book Title: Chaupannamahapurischariyam
Author(s): Shilankacharya, Amrutlal Bhojak, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 434
________________ द्वितीयं परिशिष्टम् । २५ दिव्याने २६ द्वीपाः भागेय वारुण जंबुद्दीव गंदीसर धायइसंड पुक्खरदीव । पुक्खरद्ध पुक्खरवरदीवा सिंघलदीव २७ देव-देवीन्द्रेन्द्राण्यः पिसाय पूयणा भूय अग्गिकुमार अव्वाबाह असियक्त असुरकुमार आइच्च ईसाण उवाहिकुमार कवल किण्णर विपुरिस केटव गद्दतोय गह गंगदत्ता गंधव्व चमर चमरासुर । चंद चुल्लहिमवंतगिरिकुमार जक्ख णक्खत्त णागकुमार तुसिय थणियकुमार दद्दुरक दियवर दिसाकुमार दीवकुमार महोरग मेहकुमार मेहणाय मेहमालि रक्खस वज्जदेव वही वरुण वाउकुमार विज्जुकुमार वेयड्ढगिरिकुमार वेसमण संबल सारस्सय सिंधुदत्ता सिंधुदेवी सुयदेवया सुवष्णकुमार हरिणाणण हरिणेगमेसि हरिणेगवेसि दुग्गा सक सच्चा घणय धरणराइ धरणाहिब । धरणिद रिट्ठासुर ललियंगय जलण जलणप्पद सयंपभा संगम संगमय केसि २८ देवलोकाः अच्चुय अणुत्तरोववाइय आणय आरण ईसाण गेवेज्ज गेवेज्जय लंत सहस्सार बंभलो। बंभलोय महासुक्क माहिद सुक्क पाणय सोहम्म २९ देश-प्रदेशाः कासिगाविसय अडवइल अवंति सिंधुणिक्खुद्ध सुदंसण कासी इक्खागभू इक्खागभूमि उत्तरसिंधुणिक्खुद उत्तरावह कलिंग कासभूमि गंगाणिक्खुड गंधार जोणगविसय दढभूमि दंडाज्य(व्य)पथक बहली भोगभूमि मगहा मज्झदेस कुसट्ट कोसल कोसंबी अंघ सुवष्णभूमि सूरसेण आणट्ट दसण्ण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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