Book Title: Chaupannamahapurischariyam
Author(s): Shilankacharya, Amrutlal Bhojak, Dalsukh Malvania, Vasudev S Agarwal
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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५२ बंभयत्तचक्कवट्टिचरियं ।
२१५ अट्टवसदृत्तणओ मया समाणा विविहफल-कुसुमसुहए मयंगतीरद्दहोवकंठे समुप्पण्णा एकाए हंसीए जमलत्तण गन्मम्मि । जाया य जहाणुक्कमेण, संपत्ता जोव्वणं । तओ तम्मि चेव महदहे कीलमाणाण जन्ति अम्ह दियहा।
अण्णया य तहाविहभवियव्वयाणिओएण पावकम्मयारिणा साउणिएण एकाए चिय पासियाए ज्झ त्ति 'दो वि गेण्हिऊण करयलवलणुव्वेलियकंधरापओएण विणिवाइया समाणा समुप्पण्णा कासिगाविसए वाराणसीए णयरीए महाधणसमिद्धस्स सयलपाणाहिवइणो भूयदिण्णणामस्स अणहियाए मायंगपरिणीए गम्भम्मि जमलसुयत्तणेण । जाया य कालक्कमेण । कयाई णामाई-मज्झ चित्तो, बम्भयत्तस्स संभूओ त्ति । मज्जग-भोयणाईहि परिवड्ढमाणा जाया अट्ठवरिसा।
तस्थ पुरवरीए अमियवाहणो णाम राया। तेण य पहाणावराहसंभाविओ सच्चो णाम पुरोहिओ संजायतिव्यकोवेण य दिवसावसाणे पच्छण्णवज्झत्ताए समप्पिी अम्ह पिउणो भूयदिण्णस्स । तओ संवुत्ते बहलंधयारे सुयसिणेहेण भणिओ अम्ह पिउणा-जइ मह एए वाले गेयाइसयलकलाकलावपारए कुणसि तो पच्छण्णभूमिहेरपरिसंठियं परिरक्खेमि अहयं, अण्णहा णत्थि ते जीवियं ति । पुरोहिएणावि जीवियत्थिणा तहेव पडिवणं । तओ समप्पिया अम्हे । पयत्तो सिक्खवेउं ।
तओ अम्हाण जणणी गोरवेण पहाण-भोयण-चलणसोयणाइयं तस्स सरीरत्थिई निबत्तेइ । वच्चंतेसु य कइवयदिवसेसु बलवत्तयाए इंदियाणं, दुन्निवारयाए मयरकेउणो, आसण्णयाए पेम्मसमुदयस्स, चडुलयाए महिलासहावाणं, तस्सेय संपलग्गा । एवं च अम्ह जेहाणुगयमाणसेण जाणमाणेणावि ताव ण किंचि जंपियं जाव अम्हे सयलकलाकलावपारगा संजाय त्ति। तओ पच्छा मारिउं ववसिओ मम(अम्ह) पिया। तओ अम्हे हि 'उवज्झाओ' त्ति काउंणासाविओ संतो पच्छा 'हत्थिणाउरे णयरे सणंकुमारस्स चक्कवट्टिणो अमञ्चत्तमुवगो ।
अम्हे उण रूप-जोव्वण-लायण्णाइसयगुणसंजुया वाराणसीए चेव तिय-चउक्क-चच्चरेसुं विजियकिण्णरमिहुणमहुरगेयझुणिणा सयलं पुरलोयं विसेसओ महिलायणं गोरीदिण्णकण्णहरिणं व वसमाणेमागा जहिच्छं विलसामो । तो पुरचाउव्वेजेहिं रायाणं विष्णविय निवारिओ अम्ह णेयरीपवेसो । अण्णया कोमुइमहूसबम्मि सुहसयलजणवयाणंदमुंदरं रइयरुइरणेवच्छं बहुपेच्छणयं पेच्छामु जाव णिययं संकोहल्लं ताव य कोल्हुयाणं व अण्णकोल्हुयरसियं मंजिऊण वयणं विणिग्गयं गेयं । तो पच्छाइयतणुणो एकपएसम्मि गाइउं पयत्ता । गीया य इमा गाहा
जो जम्मि चेव जायम्मि होइ णियकम्मपरिणइवसेण । सो रमई तर्हि चिय तेण अभयदाणं पसंसति ॥ ४६॥
तओ तमायष्णिऊण सुइसुहयगेयं समंतओ परिवारिया पेच्छयजणेणं कड्ढिऊण वरिल्लाइं पलोइया पञ्चभिण्णाया य। तओ ' इण हण इण' त्ति भणमाणेहिं णिच्छूढाणेयरीओ। तओ "जइ कह वि राया जाणिही "तो णिस्संसयं 'मतीयआणा लंधिय' त्ति कैलिऊण पाणावहारं करिस्सई" ति तओ पलाणा अम्हे । गंतूणं च जोयणमेत्तभूभागं गुरुणिन्वेयमाणसा कयमरणववसाया गिरिवरमेगं समारूढा।
तत्य य विमलसिलायलणिविट्ठो सयलसुमुणिगुणगणालंकिओ उत्रसमाणुहावागयहरिणउलसेविजमाणचलणसमीवो सुर-सिद्ध-विजाहरऽच्चियचलणजुयलो धम्ममाइसमाणो दिट्ठो साहू । कहं ? जहा पाणिणो अणिम्गहियकाम-कोह-लोहाइणो विसंखलपयत्तपंचिंदियप्पसरा सदाइसयलविसयवासंगसंगया अमुहकम्ममन्जिणन्ति, जह य समज्जियासुहकम्मुणो दुरुतरणरयणिवडिया कर-चरण-कण्ण-णासावकत्तण-तणुच्छेयण-भेयणाइयाओ वियणाओ अणुहवंति, जह य तिरियतणम्मि डहणं-उंकण-फालण-वाहणाइयं दुक्खमणुहवंति, जह य कयमुकयकम्मुगो. समुप्पण्णा सुरगणेसुं समीहियमेत्तसंपत्तसयलिंदियसुहप्पसरं पवरमुरसुंदरीजणियमणहररइसुहविसेसं सोक्खमणुहवन्ति, जह य णिवियदुदृढकम्मट्टिइपमुक्क
१ दोहि वि सू। २ वाणारसीए जे । ३ संवत्ते सू । ४ कलापारए सू । ५ हरसंठियं जे । ६ कलापारगा जे । ७ 'चत्तणमु जे । ८ वाणारसीए जे । ५ णयरीए पंसू। १० सकोउहलं जे । ११ गाइयं जे । १२ पुरीओ जे । १३ तओ सू । १४ कलिउ जे।
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