________________ CATUHSATAKA [227 [227 gan tshe nan bdag bud med min | skyes min ma nin ma yin pa de tshe mi ses hbah z'ig las | kyod bdag pho yo snam du sems || 1 || In a Vx of CS na for nan. In d V ho for yo. * अन्तरात्मा यदा न स्त्रो न पुमान नपुंसकम् / तदा केवलमज्ञानाद भावस्तेऽहं पुमानिति // 1 // CSV : पुमानित्यु पलक्षणत्वादह स्त्री नपुसकमिति सर्वमेवाज्ञानाद भवति। विचार्यमाणस्य वस्तुसत्त्वसा तथासिद्धत्वादज्ञान मुन्ना नान्यत्तथापरिकल्पकारण' युक्तम्। रज्जुस्वरूपापरिज्ञाने सर्पाध्यारोपवदित्यभिप्राय: // 1 // 227 __CSV : एव तावदन्तरात्मनो यः स्त्रीत्वादिपरिकल्यो नासौ वस्त्वनुविधायोति स्थितम् / अथ मन्यसे बहिरात्मनो लिङ्गान्येतानि स्त्रीपु नपुंसकत्वामि तत्सम्बन्धादन्तरात्मन्यपि परिकल्पान्त इति। 'स्यादेतदेवं यदि बहिरात्मनोऽप्येतानि युज्यन्ते / कथं कृत्वा। इहाकाशस्य तावन्महाभूतत्वायोगाच्चत्वार्थेव महाभूतानि। यस्यापि पञ्च महाभूतानि तस्याप्याकाशस्य शरीरारम्भकत्वायोगाच्चत्वार्येव महाभूतानि कारणभाव प्रतिपद्यन्ते। तेषु च स्त्रीपुनपुंसकत्वानि स्वरूपतो न विद्यन्ते। यदि स्यु स्तदा तत्सुभावानुरोधात् सर्वदेहानां नियतलिङ्गता स्यात्। कललादपि च लिङ्गोपलब्धिः स्यान्न चैतदस्तीत्यतः- / gan tshe hbyun ba thams cad la . pho mo ma nin yod min pa de tshe ci ste de dag nid | brten nas pho mo ma nin yin || 2 || * यदा सर्वेषु भूतेषु नास्ति स्त्रीपुंनपुसकम् / तदा किं नाम तान्येव प्राप्य स्त्रीपुनपुंसकम् // 2 // CSV : किं नामात्र कारणं यत् स्वरूपतो लिङ्गरहितानि महाभूतानि 1 Tib. tathaparikalpanad apratitikaranam (de Itar yons su brtags (X btags) pa las ma rtoge pahi rgyu). . Tib. ad. here something more. * Tib. om. pari.. ... For this Tib. naivam (hdi ni de ltar ma yin no). . Tib. ad. dardane (ltar na).