________________ 190 CATUHSATAKA [819 नास्ति। न विज्ञानमनवबोध'खरूपत्वात्। नापि दर्शनं रूपालोचनाभावात् / यदा चैवमन्योन्यार्थविकलानीन्द्रियविषयविज्ञानानि तदा तत्मामग्रामपि सत्यां नैव ते रूपं दृश्यत इति सम्भावयितुं शक्यम् / / रूपदर्शनाङ्गविकलत्वादन्धसमुदायवदित्यभिप्रायः। यदा चैवं रूपस्य दर्शनाभाव स्तदा को नामाहं ति तत्त्वविद्रूपं दृश्यत इति वक्तुं द्रष्टुं वा // 17 // 318 ___CSV: यथा च तत्त्वविवाहति रूपं द्रष्टुमेवं शब्दमपि श्रोतुं नाहेति / रूपदर्शनवच्छब्दश्रवणस्याप्यसम्भवात् / ' इह यदि शब्दः श्रूयते स श्रवणदेश सम्प्राप्तो वा श्रूयेतासम्प्राप्तो वा। यदि तावत्सम्प्राप्तः श्रूयते स श्रवणदेश व्रजव्छब्द कुर्वाणो व्रजति नि:शब्दो वा। तत्र यदि पूर्वः कल्पस्तदा gal te smra z'in sgra hgro na | gan gis smra ba por mi hgyur hon te mi smra bar hgro nahan | gan gis de la ses pa skye || 18!! In d V and Vx of CS bskyed for skye. न वक्ता जायते केन शब्दो याति ब्रुवन् यदि / अथ यात्यब्रुवंस्तस्मिन् प्रत्ययः केन जायते // 18 // CSV: ततथ वक्त त्वाद्देवदत्तवच्छब्दोऽसौ न भवति। अथाब्रुवन् याति तदा तस्मिञ्छब्द निःशब्द व्रजति शब्दोऽयमिति कस्यावसायो भवेत् / न चारहीतस्यास्यास्तित्वमिति न युक्तमेतत् // 18 // 319 CSV: किञ्चान्यत्-। gal te phrad do sgra hdzin na ! sgra yi dan po gan gis hdzin | sgra ni rkyan bahan mi hon na rin bu ji ltar hdzin par hgyur || 19 || 1 Tib. rtogs (x rtog) pahi ran ba' in ma yin pahi phyir. HPS degjijanm avabodhai. 2 Tib. adarsanatmakatvat (lta ba ma yin pahi bdng nid can yin pahi phyir). 3 Tib.om. it. ... Tib. om. itideg bukyam. 5 Til vuggla Ita ba med pa ; HPS rupas adarsanasambhavat. 7 Tib. merig (=vid) for rigs. ea hi phyir (abhavat). in. Tib.a-(-1of asamprapatah is left out. 10 Tib.om. asau. * Tib. bgro ba ,TPS vrajan.