Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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भारतीय दर्शनों की दृष्टि से गांधी- विचारों का विवेचन
डॉ रेवती रमण पाण्डेय
एक प्रबुद्ध विचारक के अनुसार महात्मा गांधी गत १२०० वर्षों की सर्वाधिक महान् विभूति हैं ।' गौतमबुद्ध के बाद मानव इतिहास में करुणा का गांधी सा दूसरा प्रतीक देखने को नहीं मिलता। अपनी आत्मकथा में क्राइस्ट एवं बुद्ध की तुलना करते समय गांधी ने स्पष्ट लिखा है कि गौतम में समस्त प्राणिमात्र के प्रति जो करुणा है, क्राइस्ट के जीवन में देखने को नहीं मिलती ।२ कृष्ण सा लोकोत्तर नायक मात्र हिन्दू वाङ्मय में ही है । उनसे कुछ मिलता-जुलता विश्व इतिहास में यदि कोई दूसरा महापुरुष है तो वह मोहनदास कर्मचन्दगांधी हैं । यदि कृष्ण महाभारत के सूत्रधार हैं तो गांधी भारतीय स्वातन्त्र्य के । यदि कृष्ण गीता के उपदेष्टा हैं तो गांधी उसके साधक । यदि कृष्ण भगवान् हैं तो गांधी भक्त । गांधी की हत्या के बाद 'लन्दन टाइम्स' ने अपने सम्पादकीय में सचमुच ठीक ही लिखा : - 'भारत को छोड़कर न कोई अन्य देश और हिन्दू धर्म को छोड़कर न कोई अन्य धर्म गांधी को पैदा कर सकता था।' इसी प्रकार राधाकृष्णन् गांधी में उत्कृष्ट भारतीयता की झांकी पाते हैं । आज गांधी की सार्थकता पर विवाद चल रहा है । १९५९ में डा० मार्टिन लूथर किंग जूनियर से प्रेस सम्मेलन में एक प्रश्न किया गया - 'अब गांधी कहाँ हैं ?' डा० किंग ने उत्तर दिया- 'गांधी अनिवार्य हैं, यदि मानवता को विकसित होना है तो गांधी आवश्यक हैं । यदि मानव एवं उसके सार्थकता है तो गांधी की भी सार्थकता है । यदि राम, कृष्ण, बुद्ध, सुकरात एवं क्राइस्ट की सार्थकता है तो गांधी की भी सार्थकता है ।
उत्कृष्ट मूल्यों की
१. लुइस फिश : दि एसेन्सियल गांधी : प्राक्कथन जार्ज एलेन एण्ड अनेविन, लन्दन १९६६ २. गांधी ऐन आटोवायोग्राफी, सेकेण्ड एडीशन १९४०, पृ० ११९
३. राधाकृष्णन् : महात्मागांधी एसेज एण्ड रिफलेक्शन्स प्राक्कथन, जे. के. पब्लिचिम हाउस, बम्बई ।
परिसंवाद - ३
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