Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
View full book text
________________
गांधी जी के प्रयोग : आधुनिक सन्दर्भ में
जानी चाहिये व्यक्तिगत सन्दर्भ में भी शिक्षा के द्वारा ही हर बच्चे को स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया जा सकता है, जिससे वह केवल नौकरी की तलाश में न घूमें बल्कि स्वयं उद्योग और काम धन्धों का निर्माण करें। शिक्षा ऐसी होनी चाहिये जिससे बच्चों में यह भावना हो कि नौकरी कितनी भी अच्छी क्यों न हो, वह स्वावलम्बी जीवन से श्रेयस्कर नहीं है ।
यहाँ यह उल्लेख करना अप्रासंगिक न होगा कि बेरोजगारी की समस्या - आधुनिक यांत्रिक संस्कृति की समस्या है और सम्पन्न से सम्पन्न राष्ट्र इतने रोजगार नहीं उत्पन्न कर सकते जितने देश में नवयुवक और नवयुवतियाँ हैं । यही कारण है कि आज जापान, पश्चिमी जर्मनी और अमेरिका जैसे समृद्ध राष्ट्रों में बेरोजगारी एक भीषण रूप धारण किये हुए हैं । गांधीजी ने जिस शिक्षा का वरदान देश को को लगभग ५० वर्ष पूर्व दिया था वह आज भी उपयोगी है, इसमें सन्देह नहीं । और विश्व के सभी महान शैक्षिक विचारकों ने गांधीजी की शिक्षा प्रणाली का का समर्थन किया है। कोठारी आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि गांधीजी बुनियादी शिक्षा के सिद्धान्त शिक्षा के सभी स्तरों के लिये उपयोगी और श्रेयस्कर है किन्तु यह एक दुखद विडम्बना ही है कि बहुत से तथाकथित शिक्षाविद् और विशेषज्ञ उसे अनुपयोगी एवं असामयिक मानते हैं ।
गांधींजी के जीवन का तीसरा महत्त्वपूर्ण प्रयोग विकेन्द्रित राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था का था। गांधीजी ने कहा था कि वास्तविक स्वतंत्रता वही होगी, जब भारतीय समाज ग्राम स्वराज के ऊपर आधारित होगा । अर्थात् देश का शासन ऊपर से नीचे की ओर नहीं ( दिल्ली से गांव की ओर नहीं ) प्रत्युत नीचे की ओर ऊपर की ओर चलेगा । और तभी शासनतन्त्र सुदृढ़ हो सकता है । इसी प्रकार गाँधीजी ने विकेन्द्रित अर्थं व्यववस्था की बात भी कही थी, जिसमें देश का आर्थिक जीवन बड़े-बड़े कल कारखानों पर न निर्भर होकर छोटे-छोटेउद्योग धन्धों पर निर्भर करेगा ! उन्होंने कहा था कि मैं मशीन के विरुद्ध नहीं हूँ किन्तु मशीन यदि मनुष्य की स्वामिनी बन जाय और मनुष्य उसका दास हो जाय : तो यह स्थिति मुझे पसन्द नहीं है । इसीलिये उन्होंने देश भर में खादी के कार्य को चलाया और गांधी आश्रमों की स्थापना की। जिनके माध्यम से आज : भी लाखों लोग अपनी रोजी कमा रहे हैं । प्रश्न यह है कि क्या विकेन्द्रित राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था के विचार और प्रयोग आज भी उपयोगी है अथवा नहीं । आज केन्द्रीकरण के सिद्धान्त का पूरा प्रचार है । जीवन की छोटी से छोटी
M
परिसंवाद - ३.
१२
८९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org