Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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भारतीय चिन्तन की परम्परा में नवीन सम्भावनाएं कम समय में यह संभव नही है। मैं दो एक प्रकार की बातों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करूंगा।
इस संगोष्ठी में दो प्रकार की प्रवृत्तियां ध्यान में आ रही है। (१) परम्परागत तथा (२) नवीनतावादी । एक परम्परा से नवीनता की ओर ले जाने वाले लोग थे तो दूसरे दो टूक बाते रखने वाले परम्परावादी लोग भी थे। इस प्रकार के विचार से पंडित में भी नयी समस्याओं के समाधान के लिए विवेक जगेगा।
अन्त में गोष्ठी के संयोजक श्रीराधेश्यामधर द्विवेदी ने काशी हिन्दूविश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, सारनाथ तिब्बती संस्थान, गांधी संस्थान राजघाट, सम्पूर्णानन्द-संस्कृत-विश्वविद्याल के छात्रों, अध्यापकों के साथ डा. सी० एन० मिश्र भागलपुर को धन्यवाद दिया ।
श्री राधेश्यामधर द्विवेदी
परिसंवाद-३ .
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