Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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भारतीय चिन्तन की परम्परा में नवीन सम्भावनाएं
मानव का यह विश्वास दृढ़ कर दिया है कि अन्ततोगत्वा मानव की ज्ञान सम्बन्धी सारी समस्याओं का हल विज्ञान से हो जायगा । अतः दर्शन ज्ञान की वृद्धि के लिये आवश्यक नहीं है, दर्शन का काम केवल उपलब्ध ज्ञान में समन्वय स्थापित करना, उसमें स्पष्टता लाना, उसके आधार पर जीवन की दिशा निश्चित करना आदि है । इसी से दर्शन का सम्बन्ध केवल इसी जीवन की समस्याओं से माना जाता है । मनुष्य जीवन की समस्याओं का आत्यांतिक हल कैसे हो ? यह आज का दार्शनिक नहीं सोचता है । व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन दोनों के लिये काम, क्रोध, लोभ आदि पर हम विजय कैसे प्राप्त करें, यह दर्शन की समस्या नहीं है यद्यपि यह समस्या सार्वभौम है, सतत है और सारी समस्याओं का मूल है । अतः यदि हम दर्शन को इसी जीवन की समस्याओं तक ही सीमित रखें, तब भी यह आवश्यक हो जाता है कि हम इन समस्याओं पर विचार करें ।
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परिसंवाद- ३
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