Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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भारतीय दर्शनों के नये वर्गीकरण की दिशा . १५७ में होती रही है उसे एक खुले राजमार्ग पर यदि खड़ा कर दिया जायेगा तो विद्वानों को यह आशंका हो सकती है कि अध्ययनाध्यापन के द्वारा उनकी यथावत रक्षा नहीं हो पायेगी। वास्तव में भारतीय चिन्तन की रक्षा करना महत्त्वपूर्ण बात है जो अत्यन्त आवश्यक है उससे भी अधिक आवश्यक यह है कि नये चिन्तन के लिए दार्शनिकों को यथासम्भव धार्मिक एवं साम्प्रदायिक कुण्ठाओं से मुक्त किया जाय । इन दोनों प्रकार के औचित्यों के बीच में चिन्तन का एक नया आयाम निकलना कठिन नहीं है।
परिसंवाद-३
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