Book Title: Bharatiya Chintan ki Parampara me Navin Sambhavanae Part 2
Author(s): Radheshyamdhar Dvivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrut Vishvavidyalaya Varanasi
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वर्गीकरण सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर
आचार्य पं. रघुनाथ शर्मा भारतीय दर्शनों के वर्गीकरण संगोष्ठी के विचारणीय प्रश्नों का उत्तर यथामति निम्नलिखित है
१-न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, पूर्वमीमांसा, उत्तरमीमांसा, सौत्रान्तिक, वैभाषिकदर्शन, क्षणभङ्गवाद, विज्ञानवाद, जैनदर्शन, चार्वाकदर्शन आदि दर्शनों को भारतीय इसलिए कहते हैं क्योंकि इनकी मूल कल्पना भारतीयों की है। ... २-पूर्वोक्त आद्य दर्शनों को आस्तिक दर्शन इसलिए कहते हैं कि ये दर्शन प्रारब्धवादी हैं। प्रारब्ध कर्मों को मानते हैं। 'अस्ति नास्ति दिष्टं मतिः' इस पाणिनि के सूत्र से आस्तिक-नास्तिक शब्द बने हैं। 'देवं विष्टं भागधेयम्' यह अमर का कहना है।
भारतीय दर्शनों का अपना रूप प्रथम प्रश्न के उत्तर में बताया गया है। किन्तु वर्गीकरण के लिए आस्तिक-नास्तिक दर्शन शब्दों का प्रयोग समुचित है।
३-दर्शनों का यदि विषयों के अनुसार वर्गीकरण किया जाय तो दर्शनों का अध्ययन असम्भव अथवा दुस्साध्य हो जायेगा। अतः सम्प्रदायानुसार वर्गीकरण किया गया। अद्वैत और द्वैत कोई विषय नहीं है। आत्माद्वैत, शिवाद्वैत, शक्त्यद्वैत यह विषय हो सकता है। एक दर्शन के अनेक विषय हैं। किस विषय को लेकर आप वर्गीकरण करेंगे। अतः सम्प्रदायानुसार चिंतन नहीं होगा तो किसी विषय का गम्भीर चिंतन नहीं हो पायेगा। आज कल भी विज्ञान सिद्धान्त तथा विषय का चिन्तन सम्प्रदायानुसार ही हो रहा है। ..
४-- भारतीय दर्शन के विषयों का चिंतन ऋषियों ने स्वतन्त्र रूप से किया। बुद्ध, जिन, वृहस्पति आदि शास्त्र प्रवर्तकों का चिंतन स्वतन्त्र हुआ। उन सभी दर्शनों के मौलिक चिंतन स्वतन्त्र हुए। बाद में सूत्रों का अवलम्बन करके व्याख्यान रूप से चिंतन हुआ और हो रहा है।
परिसंवाद-३
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