________________
एक प्रश्न पर विचार कीजिए आप अपनी मां के बेटे हैं या पृथ्वी के? मां और पृथ्वी में कौन बड़ी है ? शास्त्र में शरीर को पार्थिव कहा है। इस कथन द्वारा माता का उपकार भुलाया नहीं है किन्तु बढ़ाया है क्योंकि मां का शरीर भी पृथ्वी से ही बना हुआ है। शरीर में आने वाला एक-एक श्वास भी पृथ्वी का ही है। माता को न भूलना तो गुण है ही लेकिन पृथ्वी को भूल जाना कृतघ्नता है। माता बालक को नौ मास तक अपने पेट में रखती है लेकिन आखिर वह पेट से रखकर भी रहती तो पृथ्वी पर ही है। इसके अतिरिक्त जन्म देकर पृथ्वी पर ही रखती है।
विज्ञान का कथन है कि यदि मनुष्य नियमित जीवन बितावे तो वह एक सौ वर्ष तक जीवित रह सकता है। एक दीपक में जो तेल भरा है, उसे एक ही बत्ती द्वारा जलाने पर रात भर प्रकाश दे सकता है। अगर उसमें चार बत्तियां जलादी जाएं तो वह तेल रात भर कैसे प्रकाश दे सकता है? इसी प्रकार अनियमित जीवन पूर्णायु कैसे प्राप्त कर सकता है? आजकल लोगों का खानापीना और रहन-सहन इतना भद्दा हो रहा है कि उनका जीवन निःसत्व हो रहा है। जिन घरों में वे रहते हैं वहां इतनी गंदगी रहती है कि कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसा जीवन भी कोई जीवन है? अगर नगरों में विस्तृत स्थान नहीं है तो कम से कम नगर निवासियों को चाहिए कि वे ग्रामीणों के रहन-सहन को उत्तम तो मानें। लेकिन वे उलटे उनकी निंदा करते हैं। नगर में रहने वालों का पालन-पोषण ग्रामीण ही करते हैं। ग्रामीणों के यहां से ही नगर में रहने वालों की हवेलियों में अन्न आता है। फिर भी नगर वाले झूठा अभिमान करके ग्रामीणों की निन्दा करते हैं। नगर की हवेलियां ग्रामीणों की झोंपड़ियों से ही बनी हैं। हवेली बनाने के लिए झोंपड़ियों वालों ने ही सिर से पैर तक पसीना बहाया है। क्या कोई झोंपड़ी ऐसी भी है जो गरीब झौंपड़ी वालों के परिश्रम के बिना ही बन गई हो! झोंपड़ों में हवेली वालों ने काम नहीं किया लेकिन हवेली में झोपड़ों वालों ने काम किया है। ऐसा होते हुए भी हवेली वाले, अहंकार करके ग्रामीणों की निन्दा कैसे करते हैं? अहंकार के वश होकर अगर गाय को भी मां न मानो, उसका बूंद-बूंद दूध लेकर उसे भी कसाई के सुपुर्द कर दो तो वह बेचारी क्या कह सकती है? लेकिन ऐसे कृत्यों से क्या तुम मनुष्य ही बने रहोगे? इसलिए हमारा शरीर पृथ्वी से बना है यह समझकर पृथ्वी से प्रेम करो। मुसलमान भी कहते हैं कि बाबा आदम का शरीर मिट्टी से बना हुआ था। वह तो बाबा आदम का ही शरीर मिट्टी से बना बतलाते हैं लेकिन हम लोग तो यह शरीर मात्र मिट्टी के बने हुए मानते हैं।
- भगवती सूत्र व्याख्यान ७