________________
बोल से बढ़कर बजा मेरे हृदय में
सुख- क्षणों का ढोल
वे तुम्हारे बोल
भी हैं; उनके लिए ही बोल रहा हूं। जिनको सुनने में अड्चन है वे न सुना सुविधा है उनके लिए, न सुनें। अगर नहीं सुनने से कठिनाई है, सुनना ही पड़ेगा, तो फिर हृदय खोलकर सुन लें। फिर कंजूसी से न सुना मैं तो बोल रहा हूं उनके लिए जिनके हृदय में कुछ अमृत घुलता है।
वे तुम्हारे बोल, वे अनमोल मोती
वे रजत क्षण,
बिंदुओं में प्रेम के भगवान का संगीत भर - भर
बोलते थे तुम, अमर रस घोलते थे
पर हृदय-पट तार
हो पाये कभी मेरे न गीले
उनके लिए बोलता हूं जिनके हृदय - पट के तार अभी भी गीले नहीं हो पाये, लेकिन जो गीले करने को तत्पर हैं। जो रंगे जाने को तत्पर हैं। जिनकी तैयारी है। अड़चनें हैं अनंत कालों की, जन्मों-जन्मों की, बाधायें हैं संस्कारों की। लेकिन जो तैयार हैं, आज नहीं कल जो रंगे जायेंगे। बोलता हूं उनके लिए
और उनके हृदय की स्थिति ऐसी है कि जो वे सुन रहे हैं, उसे चाहे न भी सुन पाते हों तो भी उनके हृदय में सुख का एक ढोल बजता है।
, अजी मैंने सुने तक भी नहीं प्यारे तुम्हारे बोल
बोल से बढकर बजा मेरे हृदय में
सुख- क्षणों का ढोल
वे तुम्हारे बोल
और वह ढोल बजने लगे तो चाहे तुमने सुना नहीं सुना, कोई अंतर नहीं पड़ता। क्योंकि उसी परम सुख की तरफ यात्रा है। ढोल बजने लगा सुख का तो बात हो गई। ये शब्द शब्द नहीं हैं, यह तुम्हारे भीतर पड़ी हुई बांसुरी को बजाने का उपाय है ये शब्द शब्द नहीं हैं, यह तुम्हारे भीतर पड़ी वीणा को छेड़ने का उपाय है। तुम एक संगीत लेकर आये हो, उसको बिना बजाये मत चले जाना। तुम एक गीत लेकर आये हो, उसे बिना गाये मत चले जाना।
हर सुमन का सुरभि से यह अनलिखा अनुबंध
को सौंपे बिना यदि मैं झरूं, सौगंध !
तुम्हें भी सौगंध है, बिना अपनी सुगंध को हवाओं को सौंपे बिना चले मत जाना।
सुनना हो, सुनो। न सुनना हो, न सुनो। लेकिन सदा याद रखो, समस्या तुम्हारी है। यह समस्या मेरी नहीं है कि मैं क्यों बोलता हूं। मैं बोलता हूं क्योंकि पक्षी क्यों बोलते हैं मैं बोलता हूं क्योंकि