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समान है। (4) (तथा) (वह) केले के पेड़ के साररहित भीतर (के) (भाग) के समान है (तथा) पक्षियों के (प्रिय) भोजन पके फल के समान है। (11) (खेद है कि रावण के द्वारा) (इस शरीर से) तप नहीं किया गया, मनरूपी घोड़ा वश में नहीं किया गया, मोक्ष नहीं साधा गया (तथा) परमेश्वर नहीं पूजा गया। (12) (और भी) (मोक्ष प्राप्ति के लिए) व्रत धारण नहीं किया गया (तथा) (सबके द्वारा) रोका हुआ यह विनाश किया गया। (उसके द्वारा) निश्चय ही अपना (जीवन) तिनके के समान (तुच्छ) बनाया गया।
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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