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22.2
1.
पणवेप्पिण
तेण
प्रणाम करके उसके द्वारा भी
कहा गया
(पणव) संकृ (त) 3/1 स अव्यय (वुत्त) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (गय) भूकृ 1/2 अनि (दियह) 1/2 (जोव्वण) 1/1 (ल्हस) भूकृ 1/1 (देव) 8/1
गय
इस प्रकार चले गए दिन
दियहा
जोव्वणु
यौवन
ल्हसिउ
खिसक गया
देव
हे देव
पढमाउसु
प्रारम्भिक आयु को
जर
बुढ़ापा
धवलन्ति
सफेद करता हुआ
आय
आ गया
[(पढम)+(आउसु)] [(पढम) वि-(आउस) 2/1] (जरा) 1/1 (धवल-धवलन्त-(स्त्री) धवलन्ती) वकृ 1/1 (आय) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (असइ) 1/1 अव्यय [(सीस)-(वलग्ग) 1/1 वि] (जाय) भूकृ 1/1 अनि
पुणु
और
असइ
कुलटा की तरह सिर पर चढ़ा हुआ विद्यमान
सीस-वलग्ग
जाय
गति
गइ तुट्टिय विहडिय
(गइ) 1/1 (तुट्ट-तुट्टिय- (स्त्री) तुट्टिया) भूकृ 1/1 (विहड) भूक 1/2
टूट गयी खुल गए
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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