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आवहि
आओ
(आव) विधि 2/1 सक (ए) विधि 2/1 सक
आओ
मा
अव्यय
मत भय के अधीन
भयवसु
[(भय)-(वस) 1/1 वि] (धाव) विधि 2/1 सक
धावहि
भागो
वच्छउलइँ णियगेहि पराणिय
बछड़ों के समूह निज घर में पहुँच गए
तुहु
A
[(वच्छ)-(उल) 1/2] [(णिय) वि-(गेह) 7/1] (पराणिय) भूकृ 1/2 अनि (तुम्ह) 1/1 स
अव्यय (थक्क) विधि 2/1 अक अव्यय (मइ) 3/1 (जाण) भूकृ 1/1
थक्कु
ठहरा
नहीं बुद्धि से
मइए जाणिय
समझा गया
7.
तुज्झू
तुम्हारी
जणणि
माता
तुअ-तुव
(तुम्ह) 6/1 स (जणणि) 1/1 (तुम्ह) 6/1 स (दुक्ख) 3/1 (सल्ल-सल्लिय-सल्लिया) भूकृ 1/1
तुम्हारे
दुक्खें
सल्लिय
दुःख द्वारा दु:खी की गई है मत वन में
मा
अव्यय
वणि
जाहि
जा
मुइवि
(वण) 7/1 (जा) विधि 2/1 सक (मुअ+इवि) संकृ [(एकल्ल)+ (इय)] (एकल्ला) 2/1 वि इय-अव्यय
एकल्लिय
छोड़कर अकेली यहाँ
तह वि
अव्यय
तो भी
S
अव्यय
नहीं
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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