Book Title: Apbhramsa Kavya Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 404
________________ महाकवि रइधू महाकवि रइधू अपभ्रंश-साहित्य-जगत् के सुप्रसिद्ध कवि हैं। अपभ्रंश-जगत में सर्वाधिक साहित्य-सृजन का श्रेय महाकवि रइधू को ही है। रइधू के पिता का नाम साहू हरिसिंह तथा माता का नाम विजयश्री था। कवि के जन्मस्थान के सम्बन्ध में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, किन्तु उनकी रचनाओं में वर्णित अनेक प्रसंगों के आधार से यह अनुमान दृढ़ होता है कि उनका निवास हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के सीमान्त से लेकर ग्वालियर तक के बीच किसी स्थान पर रहा होगा। कवि ने गोपाचल (ग्वालियर) नगर का विभिन्न दृष्टिकोणों से जिस प्रकार का वर्णन किया है उससे प्रतीत होता है कि उनकी जन्मभूमि/निवासभूमि तो गोपाचल या उसके सन्निकट रही ही होगी पर कार्यभूमि तो गोपाचल ही थी। रइधू ने पृथक्-पृथक् आश्रयदाताओं के आश्रय में अपना साहित्य-सृजन किया। अनेक अन्तर्बाह्य साक्ष्यों के आधार पर रइधू का स्थितिकाल विक्रम सम्वत् 14391530 (ईस्वी सन् 1382-1473) माना जाता है। इन्होंने कुल कितने ग्रन्थों की रचना की यह तो स्पष्ट ज्ञात नहीं है, किन्तु 28 ग्रन्थों की जानकारी तो उपलब्ध होती है - 1. बलहद्दचरिउ 2. मेहेसरचरिउ 3. कोमुइकहपवंधु 4. जसहरचरिउ 5. पुण्णासवकहा 6. अप्पसंबोहकव्व 7. सावयचरिउ 8. सुकोसलचरिउ 9. पासणाहचरिउ 10. सम्मइजिणचरिउ 11. सिद्धचक्कमाहप्प 12. वित्तसार 13. सिद्धन्तत्थसार __14. धण्णकुमारचरिउ 15. अरिट्ठणेमिचरिउ 16. जीमंधरचरिउ 17. सोलहकारणजयमाल 18. दहलक्खणजयमाल 19. सम्मत्तगुणणिहाणकव्व 20. संतिणाहचरिउ 21. बारहभावना 22. उवएसमाल/ - उवएसरयणमाल 23. महापुराण 24. पज्जुण्णचरिउ 393 अपभ्रंश काव्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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