Book Title: Apbhramsa Kavya Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

View full book text
Previous | Next

Page 403
________________ आचार्य देवसेन दिगम्बर जैन ग्रन्थकारों में आचार्य देवसेन एक सुप्रसिद्ध नाम है। आचार्यश्री ने अपभ्रंश, प्राकृत, संस्कृत तीनों भाषाओं में ग्रन्थ-रचना की है। इनके प्रकाशित ग्रन्थों में दर्शनसार, आराधनासार, तत्त्वसार, नयचक्र, भावसंग्रह प्राकृत भाषा की और आलापपद्धति संस्कृत भाषा की प्रमुख रचनाएँ हैं। इनके ग्रन्थों के विषय, भाव व भाषा आदि के साम्य के आधार पर विद्वानों का मत है कि अपभ्रंश भाषा के मुक्तक काव्य ‘सावयधम्म दोहा' के रचयिता 'आचार्य देवसेन' ही हैं। इनके 'भावसंग्रह' में भी पाँच पद्य अपभ्रंश भाषा के रड्डा छन्द में पाये जाते हैं, शेष भाग में भी अपभ्रंश भाषा का प्रभाव अधिक दिखता है। आचार्य देवसेन का समय 10वीं शताब्दी माना गया है। सावयधम्मदोहा - इन ग्रन्थ की रचना विक्रम की 10वीं शताब्दी में मानी जाती है। यह ग्रन्थ दोहा छन्द का एक प्राचीनतम उदाहरण है। इसका विषय श्रावकों का धर्म व आचार है। _ 'सावयधम्मदोहा' धार्मिक उपदेश तथा सूक्ति की दृष्टि से तो सुन्दर है ही साथ ही भाषा की दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण है। अपभ्रंश काव्य सौरभ 392 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428