Book Title: Apbhramsa Kavya Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 417
________________ पाठ - 8 महापुराण 17.7.8 पाठ सात की कथा के सन्दर्भ में ही भरत व बाहुबलि की सेनाएँ युद्ध-मैदान में एक-दूसरे के विरुद्ध तैयार हैं। युद्ध-दुन्दुभी बजने के बाद जैसे ही आक्रमण प्रारम्भ होने वाला होता है, दोनों पक्षों के मंत्रीगण बीच में आते हैं और दोनों सेनाओं को युद्धविराम के लिए शपथ दिलाते हैं। उनकी शपथ को सुनकर दोनों सेनाएँ चित्रलिखित सी खड़ी हो जाती हैं। 17.9 मंत्रीगण दोनों ही नरेशों को प्रणाम करते हैं, उन्हें उनके गुणों के बारे में बताते हुए दोनों की तुलना करते हैं और कहते हैं कि आप दोनों ही अत्यन्त वीर हैं, अपनी विजय के लिए आप दोनों ही धर्म और न्याय से युक्त परस्पर तीन प्रकार का युद्ध कर अपनी वीरता व विजय का निर्णय करें तो उचित होगा, अन्यथा विजयश्री व वीरता का निर्णय होना कठिन है। व्यर्थ ही सैनिकों का रक्त बहाना उचित नहीं। 17.10 उन्होंने सबसे पहले दृष्टि-युद्ध का सुझाव दिया, जिसमें कोई भी अपनी पलक न हिलाए। दूसरा जलयुद्ध, जिसमें दोनों एक-दूसरे पर पानी उछालें। तीसरा मल्लयुद्ध, जिसमें दोनों तब तक मल्लयुद्ध करें जब तक एक-दूसरे के द्वारा उठा नहीं लिए जाते। अपभ्रंश काव्य सौरभ 406 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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