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पत्थरु कहिं
अव्यय
नहीं अव्यय
निश्चय ही (भति) 1/1
भ्रान्ति [(पत्थर)-(णाव) 1/1]
पत्थर की नाव अव्यय
कहीं (दीसइ) व कर्म 3/1 सक अनि देखी जाती है (देखी गई) (उत्तार- उत्तारंत- (स्त्री) उत्तारंती) वकृ 1/1 पार पहुँचाती हुई
दीसह उत्तारंति
1.
ज
अव्यय ।
यदि
गिहत्थु
(गिहत्थ) 1/1
दाणेण
विणु
गृहस्थ दान के (से) बिना जगत में कहा जाता है कोई
(दाण) 3/1 अव्यय (जग) 7/1 (पभण) व कर्म 3/1 सक (क) 1/1 स
जगि
पभणिज्जइ
कोई
ता
अव्यय
गिहत्थु
पंखि
(गिहत्थ) 1/1 (पंखी) 1/1 अव्यय
गृहस्थ पक्षी भी होता है (हो जायेगा)
वि
हवइ
(हव) व 3/1 अक
अव्यय
चूंकि
घरु
घर
(घर) 1/1 (त) 6/1 स
ताह
उसके
अव्यय (हो) व 3/1 अक
होता है
(काई) 1/1 सवि
क्या
2.
अनिश्चितता के लिए 'इ' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 150
371
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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