Book Title: Apbhramsa Kavya Saurabh
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 399
________________ जोइन्दु (योगीन्दु) अपभ्रंश भाषा के एक सशक्त आध्यात्मिक कवि हैं । अपभ्रंश वाङ्मय के रहस्यवाद - निरूपण में कवि जोइन्दु का नाम सर्वोपरि है। इन्होंने अपभ्रंश साहित्य में अध्यात्म क्षेत्र को नया आयाम दिया है। जोन्दु जैनधर्म के दिगम्बर आम्नाय के आचार्य थे और उच्चकोटि के आत्मिक रहस्यवादी साधक थे। काल-1 अध्यात्मवेत्ता जोइन्दु के जीवन के सन्दर्भ में कोई वर्णन नहीं मिलता। जोइन्दु के - निर्धारण के सम्बन्ध में भी विद्वानों में मतभेद है। कोई उन्हें 7वीं शताब्दी का, कोई 8वीं का और कोई 10वीं या 11वीं शताब्दी का मानते हैं, परन्तु अधिकांश इतिहासकारों का मत है कि जोइन्दु विक्रम सम्वत् 700 के आस-पास हुए हैं। जोइन्दु के नाम पर निम्नलिखित रचनाओं का उल्लेख मिलता है - 2. योगसार 4. अध्यात्मसन्दोह 6. तत्त्वार्थ टीका 8. अमृत 1. परमात्मप्रकाश 3. नौकारश्रावकाचार 5. सुभाषितम् 7. दोहापाहुड 9. निजात्माष्टक महाकवि जोइन्दु परन्तु इनमें से प्रारम्भ की दो ही रचनाएँ निर्भ्रान्तरूप से जोइन्दु की मानी जाती है । परमात्मप्रकाश यह जैनदर्शन पर आधारित अध्यात्म का एक अनूठा ग्रन्थ है । जोइन्दु ने इस मुक्तक काव्य की रचना अपने शिष्य भट्ट प्रभाकर के कुछ प्रश्नों का उत्तर देने के लिए की और आत्मा को परमात्मा बनने का मार्ग प्रकाशित किया । इस ग्रन्थ में आत्मा का बहिरात्मा, अन्तरात्मा, परमात्मा इन त्रिविधरूप वर्णन किया गया है। Jain Education International - परमात्मप्रकाश अपभ्रंश के मुक्तक काव्यों में शिखरस्थ है। योगसार इन्दु की दूसरी रचना है । यह भी पूर्णतः आध्यात्मिक है । यह ग्रन्थ ‘परमात्मप्रकाश’ के विचारों का अनुवर्तन है । योगसार में अध्यात्म की गूढ़ता को बड़ी सरलता से व्यंजित किया गया है। अपभ्रंश काव्य सौरभ - For Private & Personal Use Only 388 www.jainelibrary.org

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