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पाठ - 13 धण्णकुमारचरिउ
सन्धि
-3
3.16
लउडि-खग्ग
सव्वहिँ
करि
लकड़ियाँ और तलवारें सभी के द्वारा हाथ में रखी गई भोगवती
धारिय
[(लउडि) (स्त्री)-(खग्ग) 1/2] (सव्व) 3/2 सवि (कर) 7/1 (धार) भूकृ 1/2 (भोगवई) 1/1 (चल्ल-चल्लिय- (स्त्री) चल्लिया) भूक 1/1 (विणिवार-विणिवारिय--(स्त्री) विणिवारिया) भूकृ 1/1
भोगवइ चल्लिय
चल दी
विणिवारिय
रोकी गई
दूर से
तेण
उसके द्वारा देख लिए गए
णियच्छिय
हक्क
(दूर) 5/1 (क्रिविअ) (हु) व 3/2 अक (त) 3/1 स (णियच्छ) भूक 1/2 (हक्का ) 2/1 (दा-देंत-दित) वकृ 1/2 (आव) वकृ 1/2 अव्यय (पेच्छ) भूकृ 1/2
हांक
दित
आवंत
देते हुए आते हुए भी
पेच्छिय
देख लिए गए
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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