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अव्यय
नहीं
जीविउ
जीवन
(जीविअ) 1/1 (एहअ) 1/1 वि (दूय) 8/1
ऐसा
हे
दूत
अव्यय
(अम्ह) 3/1 स (भाव) भूकृ 1/1
सचमुच मेरे द्वारा विचारा गया
भाविउ
8.
आवउ
आवे
भाउ
भाई
घाउ
तह
दंसमि
(आव) विधि 3/1 सक (भाअ) 1/1 (घाअ) 2/1 (त) 6/1 स (दस) व 1/1 सक (संझाराअ) 1/1 अव्यय (खण) 7/1 (विद्धंस) व 1/1 सक
संझाराउ
घात को उसके दिखाता हूँ (दिखाऊँगा) संध्याराग की तरह एक क्षण में नष्ट करता हूँ (नष्ट कर दूंगा)
खणि
विद्धंसमि
सिहिसिहाह देविंदु
अग्नि की ज्वालाओं को देवेन्द्र
भी
नहीं
सहइ
[(सिहि)-(सिहा) 6/2] (देविंद) 1/1 अव्यय अव्यय (सह) व 3/1 सक (अम्ह) 6/1 स (मणसिय) 6/1 (विसिह) 2/2 (क) 1/1 सवि
सह सकता है
महु
मुझ
मंणसियहु
विसिह
कामदेव के बाणों को कौन
1.
कभी-कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134)
229
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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