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8.7
1.
अन्य
इयरहँ- इयरह दिव्वाहरणहँ-दिव्वाहरणहं
सुन्दर आभूषणों के
(इयर) 6/2 वि [(दिव्व)+(आहरणह)] [(दिव्व)-(आहरण) 6/2] (पास-पासिअ) भूक 1/1 (सील) 1/1
पासिउ
जाना गया (समझा गया) शील
सीतु
अव्यय
जुवइहे
युवती का
मंडणु
(जुवइ) 6/1 (मंडण) 1/1 (भास) भूकृ 1/1
आभूषण
भासिउ
कहा गया
2.
हरिवि
णीय
हरण करके ले जाई गई जो जैसा कि बतलाया जाता है
जा
किर
(हर+इवि) संकृ (णीय) भूकृ 1/1 अनि (जा) 1/1 सवि
अव्यय (दहवयण) 3/1 (सील) 3/1 (सीया) 1/1 (दड्ड) भूक 1/1 अनि
दहवयणे-दहवयणे
रावण के द्वारा
सीलें-सीलें
शील के कारण
सीय
सीता
जलाई गई
अव्यय
नहीं
णउ जलणें-जलणे
(जलण) 3/1
अग्नि के द्वारा
तह
उसी प्रकार
अणंतमइ
अनन्तमती
अव्यय (अणंतमइ) 1/1 [(सील)-(गुरु)-(क्किय) भूकृ 1/1 अनि]
सीलगुरुक्किय
कठोर शील धारण की हुई
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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