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सुलहउ मणुयत्तणे पिउ
सुलभ मनुष्य अवस्था में प्रिय पत्नी
कलत्तु
(सुलहअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक (मणुयत्तण) 7/1 (पिअ) 1/1 वि (कलत्त) 1/1 अव्यय (एक्क) 1/1 वि अव्यय (दुल्लह) 1/1 वि (अइपवित्त) 1/1 वि
किन्तु
एक्क
एक
जि
दुर्लभ अतिपवित्र
दुल्लहु अइपवित्तु 10. जिणसासणे
जिन शासन में जिसको
नहीं
कयावि
पतु
[(जिण)-(सासण) 7/1] (ज) 2/1 स अव्यय अव्यय (पत्त) भूकृ 1/1 अनि
अव्यय (णास) व 1/1 सक (त) 2/1 सवि [(चारित्त)-(वित्त) 2/1]
कभी (भी) प्राप्त किया कैसे बर्बाद करूँ उस (को) चारित्ररूपी धन को
णासमि
चारित्तवित्तु 11.
अव्यय
इस प्रकार विचार करके
वियप्पिवि
जाम
जब
थिउ
अविओलचित्तु सुहदसणु अभयादेवि विलक्ख
(वियप्प+इवि) संकृ अव्यय (थिअ) भूकृ 1/1 अनि (अविओलचित्त) 1/1 वि [(सुह) वि-(दंसण) 1/1] (अभयादेवि) 1/1 (विलक्ख) 1/1 वि (हु) भूकृ 1/1
हुआ शान्त चित्तवाला मनोहर, दर्शन अभयादेवी लज्जित
हुई
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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