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आप दोनों
विण्णि
(तुम्ह) 1/2 स (वि) 1/2 वि अव्यय (सुर) 4/2 अव्यय (पयंड) 1/2 वि [(महि)-(महिला) 6/1] परसर्ग [(बाहु)-(दंड) 1/2]
पयंड महिमहिलहि केरा बाहुदंड
देवताओं के लिए भी प्रचण्ड पृथ्वीरूपी महिला की सम्बन्धवाचक लम्बी भुजाएँ
आप
तुम्हइं विण्णि
दोनों
वि
(तुम्ह) 1/2 स (वि) 1/2 वि अव्यय [(णिव)-(णाय)-(कुसल) 1/1 वि] [(णिय) वि-(ताय)-(पाय)-(पंकरुह)- (भसल) 1/2]
णिवणायकुसल णियतायपायपंकरुहभसल
राजनीति में कुशल निज, पिता के, चरणरूपी, कमलों के भौरें
8.
आप
विणि
दोनों
जण
जन
(तुम्ह) 1/2 स (वि) 1/2 वि अव्यय (जण) 1/2 (जण) 6/1 (चक्खु) 1/2 (इच्छ) विधि 2/2 सक (अम्हारअ) 2/1 वि [(धम्म)-(पक्ख) 2/1]
जणहु चक्खु
जन के
चक्षु चाहें हमारे धर्मपक्ष को
अम्हारउ
धम्मपक्खु
श्रीवास्तव. अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 157
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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