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आकाश के क्षेत्र में
पसरइ
फैलती है
जेम
[(गयण)-(अङ्गण) 7/1] (पसर) व 3/1 अक अव्यय (सेण्ण) 1/1 [(समर)+ (अङ्गणे)] [(समर)-(अङ्गण) 7/1]
जिस प्रकार सेना
सेण्णु
समरङ्गणे
युद्ध के क्षेत्र में
2.
पसरइ
फैलता है
जेम
जिस प्रकार
अन्धकार
तिमिरु अण्णाणहो
(पसर) व 3/1 अक अव्यय (तिमिर) 1/1 (अण्णाण) 6/1 (पसर) व 3/1 अक अव्यय (वुद्धि) 1/1 (बहु-जाण) 6/1 वि
पसरइ
अज्ञान का फैलती है जिस प्रकार
जेम वुद्धि बहु-जाणहो
बुद्धि
बहुत प्रकार का ज्ञान रखनेवाले की
3.
पसरइ
फैलता है
जेम
जिस प्रकार
पाउ
पाप
पाविठ्ठहों
(पसर) व 3/1 अक अव्यय (पाअ) 1/1 (पावि+इट्ठ'-पाविठ्ठ) 6/1 वि (पसर) व 3/1 अक अव्यय (धम्म) 1/1 (धम्म+इट्ठ-धम्मिट्ठ) 6/1वि
पसरइ
अत्यन्त पापी का फैलता है जिस प्रकार
धम्मु
धम्मिट्ठहो
अत्यन्त धार्मिक का
4.
.
पसरइ
(पसर) व 3/1 अक अव्यय
फैलता है जिस प्रकार
जेम
1.
इट्ठ = इष्ट (तुलनात्मक विशेषण के लिए लगाया जाता है) अभिनव प्राकृत व्याकरण, पृष्ठ 261
161
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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