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तुट्टइ
पहुं
जइ
कालु
15
ण
खुट्टइ
10.
कंठि
ण
चुहुट्टइचहुट्ट
तो
पणवहु
जइ
रिद्धि
ण
तवा
तुट्टइ
11.
जइ
जम्मजरामरण
हरइ
चउगइदुक्खु
णिवार
तो..
पणवहुं
तासु
रेसहो
जइ
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(तुट्ट) व 3 / 1 अक
अव्यय
( पणव) व 1 / 2 सक
अव्यय
(काल) 1/1
अव्यय
(खुट्ट) व 3 / 1 अक
(कंठ) 7/1
[ ( कयंत) - (वास) 1 / 1]
अव्यय
(चहुट्ट) व 3 / 1 अक (दे)
अव्यय
( पणव) व 1 / 2 सक
अव्यय
(रिद्धि) 1/1
अव्यय
(तुट्ट) व 3 / 1 अक
अव्यय
[ ( जम्म) - (जरा) - (मरण)
2/2]
(हर) व 3 / 1 सक
[ ( उ ) वि - (गइ) - (दुक्ख ) 2 / 1]
(गिणवार) व 3 / 1 सक
अव्यय
(पणव) व 1 / 2 सक
(त) 4 / 1 सवि
( णरेस) 4/1
अव्यय
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खण्डित होता है
तो
प्रणाम करते हैं
यदि
उम्र
नहीं
क्षीण होती है
गले में
यम का फंदा
नहीं
चिपकता है
तो
प्रणाम करते हैं
यदि
वैभव
नहीं
घटता है
यदि
जन्म, जरा और मरण को (का)
हरण करता है
चार गति के दुःख को
दूर करता है
तो
प्रणाम करते हैं
उस (के लिए)
राजा को (के लिए)
यदि
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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