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बहुए पलावें
पुहइ
ण
लब्भइ
मिच्छागावें
5.
तं
1.
णिसुवि
कुमारगणु
घोसइ
HEATR
जइ
वाहि
ण
दीसइ
6.
तो
पणवहुं
जइ
TE
सुसुइ कलेवरु
ཤྲཱ ༔ ྂ བྷྲ ཝ
पहुं
जइ
जीविउ
सुंदरु
7.
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( बहुअ ) 3 / 1 वि
( पलाव ) 3 / 1
(पुहई) 1/1
अव्यय
(लब्भइ) व कर्म 3 / 1 सक अनि [(मिच्छा) वि- (गाव) 3 / 1 ]
(त) 2 / 1 स
( णिसुण + एवि) संकृ
[ (कुमार) - ( गण ) 1 / 1 ]
(घोस) व 3/1 सक
अव्यय
(पणव) व 1 / 2 सक
अव्यय
(anfe) 1/1
अव्यय
( दीसइ) व कर्म 3 / 1 सक अनि
अव्यय
(पणव) व 1 / 2 सक
अव्यय
(सु-सुइ) 1/1 वि
( कलेवर) 1 / 1
अव्यय
( पणव) व 1 / 2 सक
अव्यय
(जीविअ ) 1/1
(सुंदर) 1/1 वि
अव्यय
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बहुत
प्रलाप से
पृथ्वी
नहीं
प्राप्त की जाती है।
मिथ्या गर्व से
उसको
सुनकर
कुमारगण
कहता है ( कहा )
तब
प्रणाम करते हैं
यदि
व्याधि
नहीं
देखी जाती है।
तब (तो)
प्रणाम करते हैं
यदि
अत्यन्त पवित्र
शरीर
तब (तो)
प्रणाम करते हैं
यदि
जीवन
सुन्दर
तब (तो)
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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