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रुवन्ति
(रुव-रुवन्त-- (स्त्री) रुवन्ती) वकृ 1/1 रोती हुई वणन्तरे
[(वण)+ (अन्तरे) (वण)-(अन्तर) 7/1] वन के अन्दर में डाइणि-रक्खस-भूय-भयङ्करे । _ [(डाइणि)-(रक्खस)-(भूय)-(भयङ्कर) डाकिनियों, राक्षसों, 7/1 वि
भूतोंवाले डरावने (वन) में
6.
जहिँ
अव्यय
जहाँ पर
माणुसु जीवन्तु
मनुष्य जीता हुआ
भी
लुच्चइ विहि कलिकालु
(माणुस) 1/1 (जीव) वकृ 1/1 अव्यय (लुच्चइ) व कर्म 3/1 सक अनि (विहि) 1/1 [(कलि) (दे)-(काल) 1/1] अव्यय (पाण) 5/2 (मुच्चइ) व कर्म 3/1 सक अनि
काटा जाता है विधि (विधाता) कालरूपी शत्रु
भी
प्राणों से
पाणहुँ मुच्चइ
छुटकारा पा जाता है
7.
तहिँ
वणे
उस (में) वन में डलवा दी गई अज्ञान से
घल्लाविय अण्णाणे
(त) 7/1 सवि (वण) 7/1 [(घल्ल)+(आवि) प्रे भूकृ 1/1] (अण्णाण) 3/1
अव्यय (क) 1/1 सवि (त) 4/1 स अव्यय (विमाण) 3/1
एवहिँ कि तहो तणेण विमाणे
अब
क्या उसके लिए संप्रदानार्थक परसर्ग विमान से
जो
तेण
(ज) 1/1 सवि (त) 3/1 स
उसके द्वारा (डाह) 1/1
सन्ताप (उप्पाअ उप्पाइयअ) भूकृ 1/1 'अ' स्वा. उत्पन्न की गई
डाहु
उप्पाइयउ
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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