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उम्माहिज्जन्तउ
(उम्माह+इज्ज+न्त+अ) वकृ कर्म 1/1 'अ' स्वा.
वियोग में व्याकुल किये जाते हुए क्षण
खण
(खण) 1/1
अव्यय
अव्यय
नहीं
थक्कइ
थकता है नाम (को)
णामु
(थक्क) व 3/1 अक (णाम) 2/1 (लय-लयन्त-लयन्तअ) वकृ 1/1 'अ' स्वा.
लयन्तउ
लेता हुआ
उव्वेल्लिज्जइ गिज्जइ लक्खणु
उछाला जाता है गाया जाता है
(उव्वेल्ल+इज्ज) व कर्म 3/1 सक (गा+इज्ज) व कम 3/1 सक (लक्खण) 1/1 [(मुरव)-(वज्ज) 7/1] (वाअ) व कर्म 3/1 सक (लक्खण) 1/1
मुरव वज्जे
लक्ष्मण मुदंगवाद्य में बजाया जाता है लक्ष्मण
वाइज्जइ
लक्खणु
3.
सुइ-सिद्धन्त-पुराणेहिँ
[(सुइ)-(सिद्धन्त)-(पुराण) 3/2]
लक्खणु ओङ्कारेण पढिज्जइ
(लक्खण) 1/1 (ओङ्कार) 3/1 (पढ) व कर्म 3/1 सक (लक्खण) 1/1
श्रुति, सिद्धान्त और पुराणों द्वारा लक्षण ओंकार से पढ़ा जाता है
लक्खणु
लक्षण
अन्य
अण्णु वि
.
पादपूरक जो-जो
जं जं किंपि स-लक्खणु लक्खण-णामें
(अण्ण) 1/1 वि अव्यय (ज) 1/1 सवि (क) 1/1 वि (स-लक्खण) 1/1 वि [(लक्खण)-(णाम) 3/1]
कुछ भी लक्षणसहित लक्ष्मण नाम से
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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