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अव्यय
तो भी
ॐ MEE
जीव
(जीअ) 1/1 अव्यय (रज्ज) 4/1 (क ) व 3/1 सक
रज्जहो
कलइ अणुदिणु
अव्यय
पादपूरक राज्य की/के लिए . इच्छा करता है प्रतिदिन आयु को गलती हुई नहीं देखता है
आउ
गलन्तु
(आउ) 2/1 (गल-गलन्त) वकृ 2/1 अव्यय (लक्ख) व 3/1 सक
ण
लक्खइ
9.
महुविन्दुहे
जिस प्रकार जल की बूंद के . प्रयोजन से
करहु
ऊँट
ण
नहीं
पेक्खइ
देखता है कंकर को
कक्कर
अव्यय [(महु)-(विन्दु') 6/1] (कज्ज) 3/1 (करह) 1/1 अव्यय (पेक्ख) व 3/1 सक (कक्कर) 2/1 अव्यय (जिअ) 1/1 [(विसय)+(आसत्तु)] [(विसय)-(आसत्त) भूकृ 1/1 अनि] (रज्ज) 3/1 (गअ) भूकृ 1/1 अनि [(सय) वि-(सक्कर) 1/1]
तिह
उसी प्रकार जीव ने
जिउ
विसयासत्तु
विषय में आसक्त
राज्य से पाया (है) अत्यधिक आदर-सत्कार
सय-सक्करु
1. 2.
श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 151 कभी-कभी सप्तमी के स्थान पर तृतीया का प्रयोग किया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3137)
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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