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24.4
भरहु
भरत
चवन्तु
णिवारिउ
बोलता हुआ रोका गया राजा के द्वारा
राएं
अज्ज
(भरह) 1/1 (चव-चवन्त) वकृ 1/1 (णिवार-णिवारिअ) भूकृ 1/1 (राअ) 3/1 अव्यय अव्यय (तुम्ह) 4/1 स (काइँ) 1/1 सवि [(तव)-(वाअ) 3/1]
आज
वि
तुज्झु काइँ
तेरे लिए क्या तप की बात से
तव-वाए
2.
अज्ज
अव्यय
आज
वि
राज्य
करहि
अव्यय (रज्ज) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक (सुह) 2/1 (भुज्ज) विधि 2/1 सक अव्यय अव्यय [(विसय)-(सुक्ख) 2/1] (अणुहुञ्ज) विधि 2/1 सक
कर सुख को (का) अनुभव कर
भुजहि अज्ज
आज
वि
विसय-सुक्खु अणुहुञ्जहि
विषय सुख को भोग
3.
अज्ज
अव्यय
आज
अव्यय
तम्वोलु
(तुम्ह) 1/1 स (तम्वोल) 2/1 (समाण) विधि 2/1 सक अव्यय
पान को (का) उपभोग कर (खा)
समाणहि
अज्ज
आज
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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