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णिच्च-णिगोयहो
[(णिच्च)-(णिगोय) 4/1]
नित्य-निगोद के लिए
राज्य के द्वारा
होवे
(रज्ज) 3/1 (हो) विधि 3/1 अक (हो) भूकृ 1/1 (महु) 6/1 (सरियअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक (सुन्दर) 1/1 वि अव्यय
हुआ गया मधु के
सरियउ
समान रुचिकर
सुन्दरु तो
किं
।
अव्यय
तो क्यों तुम्हारे द्वारा
परिहरियउ
(तुम्ह) 3/1 स (परिहर-परिहरिय-परिहरियअ) भूकृ 1/1 'अ' स्वार्थिक
छोड़ दिया गया
राज्य
नहीं करने योग्य
अकज्जु कहिउ मुणि-छेयहिं दुठ्ठ-कलत्तु
कहा गया निर्मल मुनियों द्वारा
(रज्ज) 1/1 (अकज्ज) 1/1 वि (कह-कहिअ) भूकृ 1/1 [(मुणि)-(छेय) 3/2 वि (दे)] [(दु8) वि-(कलत्त) 1/1] अव्यय (भुत्त) भूकृ 1/1 अनि (अणेय) 3/2
दुष्ट स्त्री जैसे
अनुभव किया गया अनेक के द्वारा
अणेयहि
दोसवन्तु मयलञ्छण-विम्बु
(दोसवन्त) 1/1 वि [(मलयञ्छण)-(विम्व) 1/1]
दोषवाला चन्द्रमा का बिम्ब जैसे बहुत दुःखों से पीड़ित
व
अव्यय
बहु-दुक्खाउरु
[(बहु)+(दुक्ख)+(आउरु)] [(बहु) वि-(दुक्ख)-(आउर) 1/1 वि] [(दुग्ग) वि (दे)-(कुडुम्व) 1/1] अव्यय
दुग्ग-कुडुम्बु
दरिद्र कुटुम्ब
जैसे
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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