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किरण ३ ]
गोम्मट
११५६ और ११८० के हैं। वे यहां उधृत किये और यह अमम्भव नहीं कि हमाग शब्द इस धात्वाजाने हैं २८ :
दशकं सकारण अर्थसे बना हो। बम जो कुछ हम (।) गोम्मटमने मुनिसमुदा
इस शब्दकं बाग्में जानते हैं, वह यह है कि व्यक्ति यं मनदोलु मेक्षि सुनं
वाचक नामोंके अतिरिक्त यह शब्द सबसे पहिले गोम्मटदेवर पृजेग
इ० मन १५५८ के एक कन्नड शिलालंग्बम व्यवहन दं मुददि बिद्दनल्नं धीरोदान।। हुआ है; यह शब्द मगठी साहित्यम अकसर इस्तेमाल (6) गोम्मटपुर भूषणमिदु
हुआ है, और यह आजकल भी मगठी तथा कोंकणी गांम्मट माय्नने समम्नपरिकग्महतं ।
में व्यवहन होना है; और इमक माथ लगे हुए अर्थ मम्मददि हुलचमू
अपन दृढ सम्बंधका व्यक्त करत है। मुझ आशा है पं माडिमिदं जिनात्तमालयमानदं॥
कि कुछ भाषाविज्ञानके जानकार इस शब्द पर और (३) तम्मन पादग्न्ननु जरेलम्मद तपक्के नानुमि
अधिक प्रकाश डालंगे। यह बिल्कुल म्पष्ट है कि तम्म नपक्कं वादाडनगीमिरियाप्पबेडनुत्तम
'गोम्मट' शब्दका दमरं शब्द 'गमट' श्रादिके साथ गनं मनमिल्दुममिगेयं बगंगालंद
मिश्रित न करना चाहिये जा कि अनेक अाधुनिक दीगांड नी
भारतीय भापाओम 'गुम्मद' ( cupola, dome, गोम्मटदेव निन्न नरिमंदलवायजनक्कं arch, vault.) और 'गुम्मददार' छनो श्रादिक गाम्मट
अर्थोभ इस्तेमाल होता है। पिछला शब्द फार्मीक इन वाक्योंमें इसका अर्थ है 'प्रसन्न करनेवाला', 'गुम्बद' 'गुम्मज' से बना है और इसका उच्चारण 'उत्तम' इसके अतिरिक्त यह बहतसं व्यक्ति वाचक 'गुम्मट', 'घुम्ट' आदिक रूपम किया जाता है। नामोंम आता है "। तेलुगुमे हमे 'गुम्मड़' शब्द 'गाम्मटसार' की प्राकृत गाथाश्राम भी 'गाम्मट' मिलता है जिसका अर्थ है 'वह व्यक्ति जो अपने शब्दका व्यअन 'ट', 'ड' म नहीं बदला है । यह बात श्रापको मजाता है। दक्षिण कनाडाम गोम्मटदेव' इस आधार पर कि यह चामुंडरायका व्यक्तिगत और की मूर्ति आमतौर पर 'गुम्मडदेवर' कहलाती है। प्रसिद्ध नाम था और उसी प्रकार जिनका नाम चालू नामिल भाषामे हमे 'कुम्म्ट्र' शब्द मिलता है, पान्तु रहा है, यह बात कुछ हद तक ठीक मानी जामकती है। जहां तक मैं देखता हूं इसका 'गोम्मट' के साथ कोई इस तरह मै यह नतीजा निकालता हूं कि 'गोम्मट' दृढ मम्बंध नहीं है । इस शब्दकी आदि और 'चामुंडगय' का व्यक्तिगत नाम था; चंकि उन्होंने शाब्दिकपरिज्ञान (etymotogy) के लिये अधिक बाहुबलिकी मूर्तिकी भक्तिपूर्वक प्रतिष्ठा कराई थी, अध्ययनकी श्रावश्यकता है। शायद यह शब्द दक्षिण इलिये वह मूर्ति 'गाम्मटश्वर' कहलाने लगी और भारतीय शब्दभंडारसे आया है। इसे संस्कृती अन्तम 'नमिचन्द्र' ने उनके लिये जो 'धवलादि' का किसी धातुसे आसानीसे सम्बंधित करना संभव नहीं सार तैयार किया, वह 'गोम्मटसार' कहलाया । है। फिर भी धात्वादेश 'गुम्मड' है, जिमका प्राकृत अक्षरशः 'गोम्मट' शब्दका अर्थ है 'उत्तम' आदि । वैयाकरणोंने - ६ 'मुः' धातुके बराबर किया है,
(अगली किरणमे ममान) २४ E.C. I. २५१, ३४५, और २३४
माला, २-६१,६३;तथा त्रिविक्रमका व्याकरण ३-१-१३१॥ २५गोम्मटपूर गोम्मटसेहि इत्यादि देखो, E. C. IL. का यह लेख बम्बई के 'भारतीयविद्या' नामक पाण्मासिकपत्र सूचीपत्र; गोन्मटदेव (कविचरित १. १६६)।
( Vol. II Part I) में मद्रित अंग्रेजी लेखपरमे २६हेमचन्द्रका प्राकृतव्याकरण ८-४-२०७ और देशीनाम- अनुवादित हुश्रा है।