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किरण ५ ]
नया मं० देहलीके हलिखित ग्रन्थों की सूची
३५५
लिपि
प्रन्थ-नाम
ग्रन्थकार-नाम
भाषा
पत्रसंख्या
संस्कृत
वैयाकरणषभूणसार (सवृत्ति) पराग्यशतक (मटीक) बोपदेवशतक वृत्तरत्नाकरसेतु वृत्तरत्नाकर (सटीक) शिशुपालवध (काव्य) शीघ्रबोध (सटीक) पटपंचासिका टीका (ज्योतिषग्रन्थ) श्रुतबोध शृङ्गारशतक (सटीका मारस्वत व्याकरण .. वृहप्रक्रिया
५७.
कौंडभट, x भर्तृहरि वोपदेवकवि केदारभट्ट
,,पं० हरिभास्कर माघकवि 4. काशीनाथभट्ट पं. काशीनाथ कालिदास भतृहरि, x
x अनुभूतिस्वरूप श्रार्य पद्माकरभट्ट भट्टोजीदीक्षित
३::::
| सं०, पद्य प्राकृत संस्कृत
१५७८३
से ६३ | x ४RE २४ । १०से१५x
संस्कृत संस्कृत
tr xxxxxxxxxxxxxxxxx
संस्कृत
मिद्धान्तकौमदी पूर्वार्ध
, ., उत्तरार्ध ..चन्द्रिका पूर्वाध
संस्कृत
श्रीगमभद्राश्रम
:- * - * " २ २
संस्कृत संस्कृत
संस्कृत
xxxxxxxx
संस्कृत, हिन्दी संस्कृत
विभक्त्यर्थ
'रामाश्रम स्वप्नफल
व्यामऋषि स्वप्नावली (स्वप्नफल भाषाटीका) हठयोगप्रदीप (ग्वंडित) ४ संदिग्ध-सम्प्रदाय-ग्रंथ अनेकार्थ-ध्वनि मंजरी
(क्षपणक) निमितशास्त्र
ऋषिपुत्र भ्यायपंजिका (काशिकावृत्ति) जिनेन्द्रबुद्धि
८ अध्याय, अलग अलग पत्राम शान्तिनाथचरित्र
राजसुन हिन्दू ? षटपंचाशिका (सटिप्पण)
X सिद्धि (खेटसिद्धि) ज्योतिष
खेटाचार्य
संस्कृत प्रा०, पद्य संस्कृत
१८३२
१८०६ तीसरे प्रको|x छोड़कर ७०४ १५३ १५८८
१६५८ २३ x
प्राकृत संस्कृत संस्कृत
नोट-इस सूचीमें प्रधानतया संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाके अन्योकोही ग्रहण किया गया है। ऐसे प्रन्योमेंसे
जिनके साथ भाषाटीका भी लगी हुई हैं उनमें से भी कुछको ले लिया है, शेषको छोड़ दिया है। मात्र हिन्दी
आदि दूसरी भाषाप्रोंके अन्योंको इस सूचीमें शामिल नहीं किया गया है। संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाके भी कितने ही साधारण प्रन्योंको छोड़ दिया है। जिन प्रन्योंकी अनेक प्रतियाँ है उनमेंसे लिपि सम्बत्की दृष्टिसे जो पुरानी अँची, अथवा जो लिपि-सम्बत्को लिये हुए पाई गई उसे ही प्रायः यहाँ ग्रहण किया गया है।
वीरसेवामन्दिर, सरसावा ता०१०-६-१९४१