Book Title: Anekant 1942 Book 04 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 660
________________ किरण ११-१२) तामिल भाषाका जनसाहित्य - जबकि वह गुप्त वेषमें था नब उसने अप्रकट रूपसे देशके नरेशने जीत लिया था, जो कौशाम्बी राज्यके उदयनको सज्जैन में अपनी उपस्थितिकी सूचना प्रति सद्भावना नहीं रखता था। इस कारण यगी पहुंचा दी और इस बातका विश्वास दिला दिया कि इस बात के लिये प्रयत्न करता है कि जिससे वासबमैं तुम्हें शीघ्र ही छुड़ा लँगा । उपयुक्त भवमरका दत्ताका उसके पति वियोगहोजाय । बह एक ऐमी प्राप्त करने के लिये उसने अपने मित्रों की सहायतासे चाल चलता है जिससे उदयनको यह विश्वास हो राजाके हाथीको उन्मस और बेकाबू बनाने के उद्देश्य जाता है कि उसका महल जलकर राख हो गया और से मंत्रका प्रयोग प्रारम्भ किया । फलत: हाथी उसमें महारानी वासवदत्ता जलकर मर गई। महल जंजीरोंके बंधन तुड़ाकर नगरकी गलियों में फिरता में आग लगानेके पहले वासवदत्ता अपने मनुचरोंके हा भारी हानि करने लगा और उसे कोई भी वश माथ एक सुरंग मार्गसे सुरक्षित स्थलपर ले जाई में न कर मका। तब महागज प्रच्चोदनको अपने जाती है जहां वे सबगुप्त रक्खे जाते हैं। ये दसरे मंत्री मालकायनसे मालूम हुआ कि इस प्रकार के अध्यायमें वर्णित पदयनके जीवनकी कुछ मुख्य जंगली हाथीको वशमं करनमें ममर्थ एकमात्र उदयन बात है। ही है और वह कैद में है। इसपर गजाने में शीघ्र मघदककाण्डम नामके तीसरे अध्यायमें मगध देश ही बला भेजा, और उमं मात्र उम उन्मत्त हाथीका में किये गये पदयनके माहमपूर्ण कार्योका वर्णन है। वशमें कर लेने की शनपर स्वतंत्रताका वचन दिया। अपनी महागनी वामवनसाक वियोगस मुदयनके उदयनन अपनी वीणाकं द्वारा उस उन्मस हाथीका अंतःकरणको बहुत आघात पहुंचा । इसलिए वह गायक ममान पालत कर लिया, और इस तरह गजा मगधकी राजधानी गजगृहको जाता है ताकि वह को बहन प्रसन्न किया। उदयनको म्वतंत्रता मिली एक महान योगीकी महायनासे, जो मंत्रबलसे मृत और वह महाराज-द्वाग गजकन्या वासवदत्ताका व्यक्तियों नकमें पुनः प्रागा संचार करनेकी समताके संगीत-शिक्षक नियत किया गया। लिए प्रमिद्ध है, अपनी मृतपत्नी बामवदत्ताको पुनः इसके बाद अपने मंत्री युगीकी महायनामे उद- प्राप्त कर सके । वहाँ उमं मगधनरेशकी गजकमा यन, जिसने वामवदत्ता के हदयको जीन लिया था, पद्मावती मिल जाती है। प्रथम दर्शनपर ही एक नलगिरी हाथीकी पीठपर वासवदत्ताको बैठाकर राज- दूमरेके माथ प्रेमामक होजाते हैं। उदयन जो ब्राह्मण धानीसे भाग जाता है। इस प्रकार उज्जैककांडम नाम यवक वषम था, गजकमारी पपावनीको पर्णपसे का पहला अध्याय ममान होना है, जिसमें उज्जैन बशमें करनका प्रयत्न करता और इस तरह गजा नगरमें उदयनके पगक्रमका वर्णन किया गया है। की अजानकारी में ही उसके साथ गंधर्व विवाह कर दमरे अध्यायको लावाणकांडम कहते हैं। क्योंकि लेना है। जबकि वह इस प्रकार गुणवेष धारण किये असमें लावाणनगरमें उदयनकी जीवन घटनाका गजगृह में जीवन व्यतीत कर रहा था, तब शत्रुओंने वर्णन है । उज्जैनसे निकलकर उदयन अपने गज्यके उम नगरको घेर लिया । उदयन अपने मित्रोंकी लावाण नगग्में पहुंचता है और वहां वासवदत्तासे महायताम उम नगरकी शनोंसे रक्षा करता है विवाहकर में अपनी गनी बना लेना है । अपनी और इस नम्ह मगध महागजके विश्वास तथा कृतरूपवती गनीके मोहमें वह गजकीय कर्तव्यको भूल शताको प्राप्त करता है। अन्त में गजकुमारी पद्मावती कर उमकी अवहेलना करता है। यह बान उमके का विवाह उदयनके माथ होगया और वह गनी उन मित्रों को पसन्द नहीं पाती है जो यह समझने हैं पद्मावतीके साथ राजगृहमें सानंद काल व्यतीन कि अभी बहुत कुछ करने को बाकी है, क्योंकि जब करने लगा। उदयन उज्जैनम कैद था नब उसके गज्यको पाँचाल इसके पश्चान' वत्सबकाएम्' नामका चौथा

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