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किरण ]
तपोभूमि
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लकिन ऐसा नहीं, कि ज्यादह कडुवा बन सकता! उस घड़ेमें फूल और गजरे रक्खे हैं लेकर पूजाम क्यों कि वह पुरुष था ! पुरुष, मदासे ही नारीका ही निवृत्ति हो लूँ नब तक ।' 'प्रभु' रहा है ! और वह रही है हमेशा-गुलाम ! मिठाम और दीनता ! यही दा-बातें तो मंगी उमकी मिहरबानीकी मुहताज ! साथ ही, पुरुषका चाहा करती थी। और सासु इन दोनोम हमेशा जुदा मन सदाम नागके लिए नरम रहा है ! वह उमकी रह कर, स्वामित्व दिखानेकी श्रादी थी। आज जो डाट इफ्ट कड़ी-नजर और चुभनी बातोंको भी सुन- यह परिवर्तन देखा तो मंगी-कामकं लिए 'न' न कर हँसते-हँसते पचा जानका आदी रहा है ! नारीक कर सकी।
आकर्षगान बाँध जो किम्वा है-उसे, और उसकी गजरा निकालने के लिए-खुशी-खुशी हाथ घड़े मार्ग उप्र शक्तियों को ! निमपर वजमुष्टिका ता मंगीस में डाल दिया।' था प्रेम ! उमीक शब्दोंम-एमा कि बिना उसके मिनिट बीता हांगा, कि मंगी पन्छाइ ग्याकर पामीन चैन नहीं !' अलावः प्रेम के, गौरव भी कम नहीं था पर गिरी । और निकलने लगा महस, बेनहाशा उसे इस इस बातका, कि उसकी स्त्री महागज वृपभ- झाग। ध्वजकी प्यारी पुत्री और एक उच्च-घरानकी गज- मासुने देग्या 'उमे कुछ न समझने वाली उदण्ड कुमारी है ! वह उमकी प्रसन्नताको अपना अहोभाग्य छोकरी, बेहोश पड़ी है!' समझना ! उसी तरह-जिम तरह एक दरिद्र मूल्य
पर मिनिमय खुशीस उमकी आँखें चमक उठी ! वान् वस्तुको पा लेने पर उसे अपने अधिक लपक कर उसने घड़ेका मुंह बन्द कर दिया। हिफाजत और मँभालक माथ रग्यता है। गुम्ममें जला भुना साँप जो घड़म कैद था। x x __ पर, सासूके सामने ऐसी कोई बात नहीं थी वजमुष्टि था-बाहर ! महागज के साथ गया वह बह की उद्दण्डता पर नाखुश थी। और अमन्तुष्ट हुआ था-कहीं ! थी इम पर कि वह उस कुछ ममझती नहीं । जब कि देवयांग !!! उमका फर्ज उसको पूजनका, आदर करनेका है ! उमी गत वह लौट आया । स्त्रीको न देख, उमने भीतर ही भीतर उसके दिन-रात लंका दहन हाता पूछा-'माँ ! कहाँ है-वह ?' रहता।
____ मा अबतक गेनी-सूरत बनाए बैठी थी ! सुनी मनम कसक, पीड़ा लिए, यह इम कष्टम मुक्ति जो पुत्रकी बात ना गले पर काबू न रख सकी। पाने के उपायमें लगी रहती ! पर, कर क्या ? एक बार खुल कर गन के बाद हिचकी लत हुए
x x x x कहने लगी-'उस मापने काट लिया था ! उस दिन उपाय' सासूके सामने प्रागया, सफलता 'माँपने ?' या कामयाबीका जामा पहनकर ! बड़ी खुश हुई हाँ ! आज हीकी तो बात है, सैकड़ों दवाएँ की, वह !
पर ।' मिठास और दीनता-भर म्वग्में बोली-'ला तो! 'फिर किया क्या ?...'