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विषय-सूची
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१चोक-मंगल-कामना-[सम्पादक पृष्ठ ४७७ ११ गरीबका दिखा (कहानी)-[श्री 'भगवत्' जैन १० २ मिन-मुद्राका भादर्श (कविता)
१२ प्रमोत्तर-श्री दौलतराम 'मित्र' [4.दीपचन्द जैन पायच्या ४७
.१३७न्नेलखण्डका प्राचीन वैभव, देवगढ़३ परिग्रहका प्रायश्चित्त-[सम्पादक धार्मिक साहित्य में प्रशीलता-[श्री किशोरीलाल
श्री कृष्णानन्द गुप्त ५१४ घनश्यामदास मशहवाला ४२ १४ सुख-शांति चाहता मानव-[श्री भगवत्' जैन ११८ बनारसी-नाममाता-[4. परमानन्द शासी ४३१५ अपनशभाषाके दोप्रध-[पं.दीपचंदन पाण्ब्य २१६ पंचायवी मंदिर देहली उनास्तलिखित ग्रंथोंकी सनी १६ साहित्य परिचय और समालोचना जो पूर्णप्रकाशित सूचियों में नहीं पाए-[सम्पादक १६४ १७ अनकान्तक सहायक मानि-[ग्यवस्थापक 'भनेकान्त' • प्रतिमावेशसंग्रा और उसका महत्व-श्रीकांनिसागर ५०१
टाइटिल पृष्ठ३ अमेमिनिर्वाण-काम्य-परिचय- पसालाल जैन सा. ५०७ १८ वीरसेवामन्दिरमें ग्रंथ-प्रकाशन और दिगम्बर जैन ग्रंथों
बीरसेवामंदिरके विशेष सहायक-[जुगलकिशोर चित्रपर की सूचीके दो महान कार्य-अधिष्ठाता वीरमेवामंदिर १०ईसरी (जारीबाग) के सम्त-जुगलकिशोरमुल्लार चित्रपर
टाइटिल पृष्ठ ४
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वीरसेवामंदिर सरसावाको ग्रंथ प्रकाशनके लिये, श्रीसाहू शान्तिप्रसादजी जैन, डालमियानगर की ओरसे, दसहजार रु० की नई सहायताका वचन
देखो, भीतर चित्र परका लेख प्राति स्वीकार
सोनेके दो बटनोंका दान
हाल बीरसेवामन्दिर सरमावाको निम्न प्रकारमे 1.1 अपवेकी सहायता प्राध हुई है, जिसके लिये दातार महाशय श्रीमान् लाखा जम्यूप्रसारजी जैन ईस मामौता जिला भन्यबारके पात्र :
सहारनपुरने, स्वयं सोनेके बटनोंको पहननेका त्याग करके. श्री दिगम्बर जैन समाज हाकी शि. सहारनपुर।
जो दो बटन कमीज पहने हुए थे उन्हें बीरसेवामन्दिरको भी दिगम्बर जैन समाज बाराबंकी। -अधिष्ठाता वीरसेवामंदिर' पान
। दान कर दिया। इसमय-परिणति, विषय-विरति और म. महावीर और उनका समय स्थागभावके लिये पाप धन्यवानके पात्र हैं, और आपका यह सम्पादक 'अनेकान्त' की खिस्ती हुई यह महत्वकी पुस्तक व दूसने अलंकार-प्रिय श्रीमानोंके लिये अनुकरणीय है। सबके पदने तथा प्रचार करनेके योग्य है।।। मूल्य में निम्न बटनोंका बज़न मा की है। पते पर मिलती है- पनालाल जैन अप्रवाल vx. मुहस्सा चखेवामान, हनी
-अधिष्ठाता 'बोरसवामदिर'