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विषय-सूची
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विपय
लग्नक १ जिनकल्पी अथवा दिगम्बर साधुका ग्रीष्म-परीपह-जय २ जगत किमकी मुद्राम अङ्कित है -[सम्पादक ३ जीवन में अनेकान्त-[श्री अजित प्रसाद जैन एम०ए०, एडवोकेट
२४३ ४ कब वे सुम्बके दिन पाएँग ? (कविता)-[पं० काशीराम शर्मा 'प्रफलिन' ५ कवि गजमल्लमा पिंगल और गजा भाग्मल्ल-[ मम्पादक ६ यह मब ही ग्वाना है ! (कविता)-[ श्री भगवत जैन .. ७ वीर-शासन-जयन्नी और हमाग कर्तव्य-[मम्पादक ८ क्या तत्वार्थसूत्र-जैनागम-समन्वयमं तत्त्वार्थसूत्रके बीज हैं ?-[आचार्य चन्द्रशेग्वर शास्त्री ९ श्राचार्य जिनविजयका भाषण- हजारीमल बाँठिया १० हरिभद्र-मूरि-[पं० रतनलाल संघवी, न्यायतीर्थ-विशारद .. ११ मार्बजनिक भावना और मार्वजनिक मवा-[बा माईदयाल जैन, बी०ए०
अयोध्याका गजा (कहानी)-[श्री भगवत जैन
जीवनम ज्योति जगाना है ( कविता )-[पं० पन्नालाल जैन माहित्याचार्य १४ वैवाहिक कठिनाइयां-[ श्री ललिताकुमारी पाटगी विदुषी' प्रभाकर १५ लहगेमें लहगता जीवन (कविता)-[ श्री 'कुसुम जैन १३ रत्नत्रय-धर्म-[पं० पन्नालाल जैन माहित्याचार्य १७ नामिल भापाका जैन माहित्य-[प्रो०ए० चक्रवर्ती एम00 आई० ई० एम० १८ विचारपुप्पोद्यान १६ अनकान्त पर लोकमत
२८५ २० मंडक विषयमं शंकासमाधान-[श्रीनिमिचन्द मिघई, इंजीनियर ०१ गाम्मट-[डा० ए०एन० उपाध्याय, एम० १०, डी.लिट ...
०५३ २२ मंमार-वैचित्र्य (कविता)-[श्री ऋषीकुमार 'क्षुब्ध' २३ माहित्य-परिचय और ममालांचन--[ परमानन्द जैन शास्त्री ...
अनेकान्तकी सहायताके चार मार्ग (१) २५), ५०), १००) या इसमें अधिक रक़म कान्तका बराबर खयाल रखना और उमं अम्छी देकर सहायकोंकी चार श्रेणियोमम किमाम अपना महायता भंजना तथा भिजवाना, जिममे अनेकान्त नाम लिग्वाना।
अपन अच्छे विशेषांक निकाल मके, उपहार ग्रंथांनी (२) अपनी ओरम असमर्थोंका तथा अजैन योजना कर मकं और उत्तम लेखों पर पुरस्कार भी संस्थाओंको अनकान्त फ्री (विना मूल्य ) या अध- द सके । म्वतः अपनी ओरम उपहार-ग्रन्थोंकी मूल्यमें भिजवाना और इम तरह दुमगेको अनेकान्त योजना भी इम मदमें शामिल होगी। के पढ़ने की मविशेष प्रेरणा करना । (इस मदमें महा- (४) अनकान्तकं ग्राहक बनना, दमगेको बनाना यता देनेवालोंकी ओग्स प्रत्येक दम रुपयकी महायता और अनकान्तके लिये अच्छे अच्छे लग्ब लिखकर के पीछे अनेकान्त चारका फ्रो अथवा पाठको अध- भजना, लंखों की मामग्री जुटाना तथा उममें प्रकामूल्यमें भेजा जा सकेगा।)
शित हानक लिय उपयोगी चित्रोंकी योजना करना (३) उत्सव-विवाहादि दानक अवमगे पर अने- और कगना।
-सम्पादक 'अनकान्त'
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