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अनेकान्त
'अनाने काम जो बना दिये थे ढेरके देर !'- उम्मीद है-हेम बाबू !' जेबकटने कहा।
सब लोग चुप, देख रहे थे ! ... 'यह बहुत जरूरी था सो ?'-इसी वक्त बेग आध घण्टे बाद-'अन्ना' ने आंखें खोली । हेम लेकर डाक्टर साहब आगए, 'कार' दौड़ने लगी! का मन फूल उठा, और उससे कुछ ही कम जेबकटका ! xxxx ___ 'रानीमत रही कि वक्त पर पहुँच सका, नहीं
भाकर देखा तो हेम वगैग 'मन्न' रह गए! घर तुम्हारे भाई माहबने तो'. . . .?' हेमनं जेबकटकी में रोया-राट पड़ रहा है ! गाँवका गाँव जमा है ! हर ओर इशाग किया। मुँह पर एक ही फिकरा-'अन्ना' ने जहर खा लिया 'मेरे भैय्या !'-अन्नाने उँगली दाँतोंमें दबाते है। डोकरा जा उसे साठवर्षके बुडेके साथ ब्याहे दे हुए कहा। रहा था!'
जेबकट बोला-'हॉ, अन्ना ! मैं भी तुम्हाग एक दो घण्टे, का मल दो घण्टे मिहनत करने के बाद भाई हूं ! लेकिन बदनसीबीसे भला आदमी नहीं, डाक्टरने हेमसं कहा-'अब काफी कामयाबीकी एक जेबकट हूं।'
वीरशासन-जयन्ती-उत्सव
पिछले वर्षोंकी भांति इस वर्ष भी वीर-सेवा-मन्दिर सरसावा जि. सहारनपुरमें वीर-शासन-जयन्तीका उत्सव समारोहके साथ मनाया जायगा । इस वर्ष श्रावण-कृष्ण-प्रतिपदाकी पुण्य तिथि : जुलाईको अवतरित हुई है। यह तिथि वह पवित्र तिथि है जिस दिन प्रातः सर्योदय के समय भारतके गौरव एवं महाविभूतिस्वरूप भगवान महावीरने केवलशोनात्पत्तिके पश्चात् लोकहितार्थ अपना उपदेश प्रारम्भ किया था और उसके द्वारा धर्म-अधर्मकी यथार्थ परिभाषा बतला कर तथा तस्व-अतत्वका ठीक भेद समझाकर प्रज्ञानाम्धकारमें भूले-भटकते हुए प्राणियोंको सन्मार्ग दिखलाया था, उनके बहमों-मिथ्याविश्वासोंको दर भगाकर उनकी कुप्रवृत्तियोंको सुधारनेका सातिशय प्रयत्न किया था और अन्याय-अत्याचारोंस पीडित एवं माकुलित जनताको सान्त्वना देकर, उसके उद्धारका नेतृत्व ग्रहण करते हुए विश्वभरको सुख-शान्तिका सच्चा सम्मेश सुनाया था। अथवा यो कहिये कि जिस दिन भ. महावीरको धर्मचक्र प्रवर्तित हुआ था-दिव्यध्वनि-द्वारा उनके शासमतीर्थकी उत्पत्ति हुई थी, जो कि प्राणिमात्रके लिये हितरूप है। कृतज्ञता और उपकार-स्मरण श्रादिकी दृष्टिसे यदि देखा जाय तो यह तीर्थ-प्रवर्तन-तिथि दूसरी जम्मादि-तिथियोंसे कितने ही अंशों में अधिक महत्व रखती है। क्योंकि दूसरी पंचकल्याणक तिथियां जब व्यक्तिविशेषके निजी उत्कर्षादिसे सम्बन्ध रखती हैं तब यह तिथि पीडित. पतित और मार्ग:च्युत जमताके उत्थान एवं कल्याणके साथ सीधा सम्बन्ध रखती हैं, और इस लिये अपने हितमें सावधान कृतज्ञ जनताके द्वारा खास तोरसे स्मरण रखने तथा महत्व दिये जानेके योग्य है। इसी तिथिसे पहले भारतवर्ष में नये वर्षका प्रारम्भ हुमा करता था। इस दिन हमें अपने महोपकारीके उपकारोंका स्मरण करते हुए वीशासनकी महत्ताका विचारकर उसके अनुसार अपने भावार-विवारको स्थिर करना चाहिये और लोको प्रेमक महावीर शासन प्रवारका--महावीर सन्देशको फैलानेकाशक्तिभर उद्योग करना चाहिये, जिससे लोकमें सुख-शान्ति-मूलक कल्याणकी अभिवृद्धि होसके।
वीरसेवामन्दिरमें उत्सवका प्रारम्भ । जुखाई बुधवारको दिनके दो बजे होगा, जिसमें अनेक विद्वानोंके महत्वपूर्ण भाषण होंगे। अतः सर्वसाधारणको शामिल होकर उत्सबमें भाग लेना चाहिये। भोलोग शामिल नहोसके उमें अपने अपने स्थानोंपर उत्सव मनाकर अपना कर्तव्य पालन करना चाहिये। निवेदक।
जुगलकिशोर मुख्तार
अधिष्ठाता 'वीरसेवामन्दिर'