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ज्ञान प्राप्ति का साधन : विनय
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राज्य करना, जिस प्रकार नहीं करने के समान है, उसी प्रकार अगर सही ढंग से सोचा जाय तो धर्म के अभाव में करोड़ युग तक भी मनुष्य जिये तो उसके लिए न जीने के बराबर ही है।
धर्म का कितना बड़ा महत्त्व बताया गया है ? और यह यथार्थ भी है कि धर्म के अभाव में जीवन, जीवन ही नहीं है। उसका वह जीवन पशु के समान है। __तो बंधुओं, हमें अगर मनुष्य-जीवन का लाभ उठाना है तो धर्म को जीवन में अवश्य ही स्थान देना चाहिए । और धर्म की स्थापना हृदय में तभी हो सकेगी, जबकि हम सर्वप्रथम विनय गुण को अपनाकर सम्यक्ज्ञान की प्राप्ति करेंगे। विनय, गुण ही ज्ञान-प्राप्ति में सहायक बनेगा तथा ज्ञान सहित धर्म की आराधना हमें अभीष्ट फल 'मोक्ष की प्राप्ति करा सकेगी।
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